
कोलकाता, 24 अक्टूबर । लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा के अवसर पर भारतीय रेल ने इस बार यात्रियों के लिए एक अनोखी पहल की है। पूर्व और दक्षिण पूर्व रेलवे के 30 से अधिक स्टेशनों पर उद्घोषणा प्रणाली के माध्यम से छठ के पारंपरिक गीत गूंज रहे हैं। इन गीतों ने न केवल यात्रियों के सफर को भावनात्मक और सांस्कृतिक अनुभव में बदल दिया है, बल्कि उन्हें बिहार की सोंधी मिट्टी और लोकसंस्कृति से भी जोड़ दिया है।
रेलवे स्टेशनों पर “मंगीला हम वरदान हे गंगा मइया”, “पहिले पहिल हम कईनी छठ के बरतिया” और “केलवा के पात पर उगेलन सुरुजदेव” जैसे प्रसिद्ध गीत यात्रियों के स्वागत में बज रहे हैं। इन गीतों की धुन सुनकर यात्रियों, विशेषकर महिला यात्रियों, के चेहरे पर खुशी झलक रही है।
हर वर्ष छठ पूजा के दौरान लाखों की संख्या में लोग बिहार और उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में अपने घर लौटते हैं। इस बार यात्रियों की सुविधा के लिए भारतीय रेल ने 12 हजार से अधिक विशेष ट्रेनें तथा हजारों नियमित ट्रेनों का संचालन किया है, जिससे यात्रियों को अपने गंतव्य तक आसानी से पहुंचाया जा रहा है।
लेकिन इस बार का अनुभव कुछ खास है —स्टेशनों पर छठ गीतों के माध्यम से स्वागत का यह प्रयास पहली बार किया गया है। यह पहल भारतीय रेल के सांस्कृतिक समन्वय और लोक परंपरा के सम्मान को दर्शाती है।
छठ गीतों की गूंज जिन स्टेशनों पर सुनाई दे रही है- कोलकाता, नई दिल्ली, आनंद विहार, आसनसोल, गोरखपुर, रांची, पटना, दानापुर, राजेंद्र नगर, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, हाजीपुर, सोनपुर, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, सहरसा, जमालपुर, मुंगेर, कटिहार, नरकटियागंज, मोतिहारी आदि।
दक्षिण पूर्व रेलवे के अंतर्गत रांची, टाटानगर, बोकारो स्टील सिटी, शालीमार, संत्रागाछी, खड़गपुर, बालेश्वर, आद्रा, पुरुलिया और बांकुड़ा स्टेशनों पर भी गीतों का प्रसारण किया जा रहा है।
रेलवे के इस प्रयोग से छठ पर्व पर घर लौट रहे यात्रियों में विशेष उत्साह देखा जा रहा है। लोक आस्था के इस महान पर्व का लोकगीतों से गहरा संबंध है। महिलाएं समूह में गीत गाकर छठी मैया से परिवार, समाज और देश के कल्याण की कामना करती हैं। जब यात्रियों की ट्रेन अपने गंतव्य स्टेशन पर पहुंचती है और उनके स्वागत में छठ गीत बजते हैं, तो वातावरण श्रद्धा, उत्साह और सांस्कृतिक गर्व से भर उठता है।
