नई दिल्ली । सड़क दुर्घटना में घायलों को इसी माह से डेढ़ लाख रुपए तक का फ्री इलाज मिलेगा। यह नियम निजी हॉस्पिटल के लिए भी अनिवार्य होगा। देशभर में इस व्यवस्था को लागू किया जाएगा। एनएचएआई इसके लिए नोडल एजेंसी का काम करेगा।
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) अधिकारी के मुताबिक, योजना के लिए मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 162 में पहले ही संशोधन हो चुका है। इस योजना को पूरी तरह से लागू करने से पहले बीते 5 महीनों में पुड्डूचेरी, असम, हरियाणा और पंजाब सहित छह राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया, जो कि सफल साबित हुआ है।
अधिकारी ने बताया कि घायल को पुलिस या कोई आम नागरिक या संस्था जैसे ही हॉस्पिटल पहुंचाएगी, उसका इलाज तुरंत शुरू होगा। इसके लिए कोई फीस भी जमा नहीं करनी होगी। घायलों के साथ चाहे परिजन हो या नहीं, हॉस्पिटल उसकी देखरेख करेगा। प्राइवेट और सरकारी दोनों ही हॉस्पिटल को कैशलेस इलाज देना होगा।केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 14 मार्च 2024 को रोड एक्सीडेंट पीड़ितों को कैशलेस इलाज देने के लिए पायलट प्रोजेक्ट कैशलेस ट्रीटमेंट योजना शुरु की थी। इसके बाद 7 जनवरी 2025 को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने योजना को देशभर में अधिकारी रुप से लांच करने की घोषणा की।
इस योजना के तहत देश में कहीं भी सड़क एक्सीडेंट होने पर घायल व्यक्ति को इलाज के लिए केंद्र सरकार की ओर से अधिकतम 1.5 लाख रुपए की मदद दी जाएगी। जिससे घायल शख्स 7 दिनों तक अस्पताल में इलाज करा सकेगा। डेढ़ लाख तक कैशलेस इलाज होने के बाद उसके भुगतान में नोडल एजेंसी के रूप में एनएचएआई काम करेगा, यानी इलाज के बाद मरीज या उनके परिजन को डेढ़ लाख तक की रकम का भुगतान नहीं करना है। यदि इलाज में डेढ़ लाख से ज्यादा का खर्च आता है, तब बढ़ा बिल मरीज या परिजन को भरना होगा। सूत्रों का कहना है कि कोशिश यह हो रही है कि डेढ़ लाख की राशि को बढ़ाकर 2 लाख रुपए तक किया जा सके।