अमित मित्रा ने बजट को ‘आपदा’ और बीमा क्षेत्र में शत-प्रतिशत विदेशी निवेश को ‘साजिश’ बताया है

 

कोलकाता, 01 फरवरी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के प्रधान मुख्य सलाहकार और राज्य के पूर्व वित्त मंत्री अमित मित्रा ने शनिवार को केंद्रीय बजट 2025 की कड़ी आलोचना करते हुए इसे आम जनता के लिए “आपदा” करार दिया है। उन्होंने कहा कि इस बजट में युवाओं, महिलाओं और किसानों के लिए कुछ भी नहीं है।
मित्रा ने बजट में बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को अनुमति देने के फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे एक “गहरी साजिश” करार दिया। उन्होंने पूछा कि क्या इस निर्णय के पीछे केंद्र सरकार में किसी का अंतरराष्ट्रीय लॉबी से कोई संबंध है।
अमित मित्रा ने तृणमूल कांग्रेस के फेसबुक पेज पर पोस्ट किए गए वीडियो संदेश में कहा कि आज का बजट आम लोगों के लिए एक आपदा है। कई विशेषज्ञों ने आज संकेत दिया है कि इसमें एक गहरी साजिश छिपी हुई है। आम जनता के लिए इसमें कुछ नहीं है। युवाओं के लिए सिर्फ बेरोजगारी है। महिलाओं के लिए सिर्फ शब्द हैं, कोई ठोस उपाय नहीं। किसानों को भी सिर्फ सांत्वना दी गई है।
उन्होंने बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति देने के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार ने बीमा पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कटौती नहीं की, जिससे आम लोगों को राहत मिलती।
मित्रा ने सवाल उठाया कि यह सरकारी और निजी बीमा कंपनियों, विशेष रूप से भारतीय बीमा कंपनियों के लिए एक चुनौती है। जब हमारे राज्य ने बीमा, खासकर जीवन बीमा पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से शून्य करने की मांग की थी, तो केंद्र सरकार ने इसे खारिज कर दिया और फैसला टाल दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि जब विदेशी निवेशकों को 100 प्रतिशत हिस्सेदारी की अनुमति दी जा रही है, तो बीमा पर 18 प्रतिशत जीएसटी बनाए रखने के पीछे कोई साजिश हो सकती है। उन्होंने पूछा कि इसका फायदा आखिर किसे मिलेगा?
मित्रा ने बजट में सामाजिक सेवाओं, आवास, दलित और आदिवासी कल्याण योजनाओं में कटौती का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सामाजिक सेवाओं पर 16 प्रतिशत, आवास पर 4.38 प्रतिशत, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण योजनाओं पर तीन प्रतिशत से अधिक, आम लोगों के लिए कल्याणकारी योजनाओं पर पांच प्रतिशत और खाद्य सब्सिडी पर एक प्रतिशत की कटौती की गई है।
उन्होंने यह भी सवाल किया कि बजट में महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया गया। उन्होंने आशंका जताई कि इससे केंद्र सरकार को वित्तीय घाटा 4.4 प्रतिशत पर बनाए रखने के लिए अधिक कर्ज लेना पड़ेगा और देश का ऋण बोझ बढ़ेगा।
मित्रा ने 12 लाख रुपये तक की आयकर छूट को भी लेकर सवाल उठाए और कहा कि जब महंगाई दर इतनी अधिक है, तो यह कितना प्रभावी होगा। उन्होंने कहा कि सिर्फ आठ करोड़ लोग कर चुकाते हैं। उनमें से कुछ को इसका लाभ मिलेगा, लेकिन वह भी महंगाई की वजह से खत्म हो जाएगा। इसका मतलब है कि असली फायदा शून्य होगा। यह बजट की एक बहुत ही चतुराई भरी चाल है। मैं जानना चाहता हूं कि बजट ने महंगाई को नियंत्रित करने के लिए क्या किया है।
उन्होंने यह भी कहा कि बजट में विकास दर को घटा दिया गया है और उद्योग क्षेत्र के विकास पर कोई ठोस योजना नहीं दी गई है। उन्होंने पूछा कि निर्माण क्षेत्र हमारे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का केवल 15 प्रतिशत है, जबकि वादा इसे 25 प्रतिशत तक ले जाने का था। इस बजट में ऐसा क्या है जिससे यह लक्ष्य पूरा होगा? जब विकास की कोई ठोस योजना नहीं है, तो आर्थिक वृद्धि कैसे होगी?

 

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