नहीं रहे कवि अब्दुल जब्बार बिकाणवी, साहित्य जगत में शोक की लहर

 

 

बीकानेर,( कविता कंवर राठौड़ ) । आज हमारे बीच से एक आला इंसान हमेशा के लिए इस दुनिया से विदा हो गया है, मगर उनके द्वारा किए काम की खुशबू से बीकानेर का पूरा साहित्यिक जगत महकता रहेगा। उनके साहित्यिक योगदान हेतु पूरा बीकानेर उन्हें नमन करता है। एडवोकेट हाजी अब्दुल जब्बार तंवर (जब्बार बीकाणवी) ने गुरूवार 12 मई की सायं अंतिम सांस ली। उनका जनाजा धोबी तलाई गली नम्बर 14 से रात को उठाया गया। उन्हें ख़ान कॉलोनी स्थित कब्रिस्तान में सुपुर्द ए ख़ाक किया गया। जनाजा में उनके परिजनों,मित्रों के साथ अनेक साहित्यकार शामिल हुए। जिनमें सरदार अली पड़िहार, क़ासिम बीकानेरी, नेमचंद गहलोत, नाचीज़ बीकानेरी, मोइनुद्दीन मोइन शामिल हुए।

जब्बार बीकाणवी का जन्म रिडमलसर सिपाहियान पोस्ट उदासर, तहसील व जिला बीकानेर में 23 दिसम्बर 1928 को जनाब गुलाब खां तंवर के यहाँ हुआ। प्राथमिक शिक्षा गाँव से होती हुई बीकानेर शहर तक पहुँची। बी.ए., सी.टी., बी.एड., डी.पी.एड., एल.एल.बी. करने के पश्चात आप शिक्षक लाइन को अपनाते हुए 4 अगस्त, 1947 को शिक्षा विभाग में लॉवर मिडिल स्कूल देवीकुण्ड सागर (बीकानेर) में हैड मास्टर के पद पर नियुक्त हुए। तकरीबन चौसठ वर्ष की सेवा के पश्चात 31 दिसम्बर, 1983 को शिक्षा विभाग के जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय, गंगानगर (राज.) से उप जिला शिक्षा अधिकारी (शा.शि.) के पद से सेवानिवृत हुए। सेवानिवृति पश्चात एडवोकेट की हैसियत से वकालत करने लगे।

साहित्य सृजन में जब्बार साहब की रूचि बढऩे लगी। उम्र के अनुभवों को संजोते हुए अपनी भावनाओं, विचारों को काव्य संग्रह इस सदी के लोग पुस्तक रूप में आमजन के सामने लाया गया। आप अपनी कविताओं के विशेष अंदाज़ के प्रस्तुतीकरण के लिए जाने जाते रहे हैं। आम लोगों में ईश्वर, माँ-बाप, अपने देश, अपनी धरती, अपनी जन्मभूमि, मानवीय गुणों इत्यादि के प्रति आस्था पैदा हो, इसी उद्देश्य से इसका प्रकाशन वर्ष 2005 में किया गया। कविता पर जब्बार साहब का कहना था कि कविता व्यावहारिक जीवन की सहज एवं सरल अभिव्यक्ति होती है।

प्रत्येक संवेदनशील रचनाकार अपने परिवेश से प्रभावित होता है, उसे अनुभव के आधार पर अपनी भाषा में अभिव्यक्त करता है। हालात का यथार्थ चित्रण करता है, उसे बदलने के लिए बैचेन रहता है और अपने ख्वाबों को हकीकत की हद तक होता देखने के लिए उतावला भी होता है। 23 दिसम्बर, 2021 को हमने जब्बार साहब के घर पर उनका 94वां जन्मदिन मनाकर ईश्वर से उनके शीघ्र स्वास्थ्य की कामना की तब जब्बार साहब ने कहा कि आप सभी के आ जाने से मेरी आयु 6 माह और बढ़ गई है। यानी उन्हें पता चल गया था कि अंतिम समय में चल रहे हैं। परमपिता परमात्मा से यही प्रार्थना है कि उन्हें जन्नत में आला मकाम अता करे।

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