
कोलकाता। पाठक मंच आज आधी रात को महिलाओं द्वारा सड़क पर निकलने के अभियान को नैतिक समर्थन देता है। मंच इस अनोखे अंदाज वाले अराजनैतिक आंदोलन के पक्ष में है, जिसकी अगुवाई नारी शक्ति कर रही है। आर. जी. कर अस्पताल में एमडी की पढ़ाई कर रही एक महिला चिकित्सक की हाल ही में आधी रात को की गयी नृशंस हत्या के प्रतिवाद स्वरूप सोच से उपजा यह आंदोलन अपने आप में अभूतपूर्व है। सोशल मीडिया पर जबरदस्त समर्थन मिले इस अभियान का उद्देश्य है, हर उम्र की नारियों में ऐसी सशक्त भावना विकसित करना कि आधी रात को भी बिना किसी भय के वे सड़कों पर निकल सकें। यह उनका अधिकार है, सिर्फ पुरुषों का नहीं। 1947 में 14 – 15 अगस्त की आधी रात को हमें आजादी मिली थी। 77 वर्षों बाद आज फिर वही आधी रात है, जिसे कुछ लोगों ने इस समय का चुनाव कर नारी शक्ति को मजबूत करने, उसमें आत्मबल भरने के उद्देश्य से सड़कों पर उतरने का आह्वान किया है। विशेषकर युवा नारी द्वारा इस आंदोलन में बढ़- चढ़ कर हिस्सा लेने की उम्मीद है। ऐसी खबर मिलीं है कि प. बंगाल के विभिन्न स्थानों पर समूह बना कर लड़कियां, महिलाएं आधी रात को सड़कों पर विचरण करेंगी तथा यह संदेश देने की कोशिश करेंगी कि अब वह दिन लदने वाले हैं, जब घरवाले लड़की को अकेले घर से बाहर जाने को डर के मारे मना करते थे। इस समय तो आंदोलन की जो रूपरेखा सामने आ रही है , वह सही नजर आ रही है। पर यदि इसमें राजनैतिक घुसपैठ हुई या फिर कुछ महिलाओं ने इसका दुरुपयोग कर उच्छृंखलता दिखायी तो फिर आंदोलन की मूल भावना नष्ट हो सकती है। अभियान आगे चल कर क्या रूप लेगा, यह तो वक्त बतायेगा, पर फिलहाल हम अच्छे परिणाम की आशा रखते हुए पाठक मंच तथा मैं स्वयं इस आंदोलन का नैतिक समर्थन करता हूँ।

मित्रों एक बात और। सोदपुर इलाके में रहने वाली होनहार महिला चिकित्सक की आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज व हास्पिटल के अन्दर आधी रात को नृशंस हत्या कर दी गयी थी। साथ ही क्रूरता के साथ बलात्कार भी किया गया था। सारे शरीर पर घाव कर दिये गये थे। आरोप है कि पहले इस घटना को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की गयी, पर ऐसा हो न सका। आरोप यह भी है कि मृतक के माता-पिता सहित परिवारवालों से सच्चाई छुपाने की कोशिश में उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया गया। ज्ञातव्य है कि मृतका चिकित्सक आर. जी. कर अस्पताल में एम. डी. की पढ़ाई के साथ- साथ डाक्टरी कार्य में भी रत थी। अस्पताल के जूनियर डाक्टरों को घटना की जानकारी होते ही उनका गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने घटना की जांच कर दोषियों को कड़ा से कड़ा द॔ड देने तथा अपनी सुरक्षा की मांग करते हुए तत्काल काम बंद कर धरना, प्रदर्शन शुरू कर दिया। कुछ ही समय में राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में धरना- प्रर्दशन शुरू हो गया। चिकित्सा कार्य ठप पड़ गया। देखते ही देखते यह चिन्गारी देश के अन्य राज्यों में भी फैल गयी तथा बंगाल के आंदोलन के समर्थन में वहां भी डाक्टर सड़कों पर उतर आये।

मुख्य मंत्री ममता बनर्जी ने डाक्टरों का गुस्सा शांत करने के लिए कई प्रशासनिक कदम उठाये। जूनियर डाक्टरों के आंदोलन को उचित बताया। दोषियों को फांसी की सजा तक दिलाने की बात कही। पुलिस ने 12 घंटे के अन्दर ही एक सिविक वालंटियर को गिरफ्तार कर बताया कि उसने हत्या व बलात्कार करने की बात कबूल कर ली है। लेकिन पोस्टमार्टम की रिपोर्ट तथा घटना के परिस्थिति जन्य बातों को देखते हुए लोगों को यह बात हजम नहीं हो रही है कि सिर्फ़ एक व्यक्ति इस तरह के नृशंस हत्याकांड को अंजाम दे सकता है। अत: सरकार की जांच प्रणाली पर संदेह व्यक्त करते हुए सबूतों को नष्ट करने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया गया। विभिन्न विरोधी राजनीतिक दलों, बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी आंदोलन का साथ देते हुए धरना- प्रदर्शन किया। पर एक अच्छी बात यह रही कि आर. जी. कर अस्पताल के आंदोलनकारी जूनियर डाक्टरों ने सभी दलों से साफ- साफ कहा- साथ दीजिये, पर पार्टी के झंडे तले नहीं। ममता ने आम जनता के कष्टों को ध्यान में रख कर जूनियर डाक्टरों से हाथ जोड़ कर काम पर लौट आने की अपील भी की है। इस बीच मामला हाईकोर्ट में पहुंचा, तो मुख्य न्यायाधीश ने कोलकाता पुलिस को कटघरे में खड़े करते हुए जांच सीबीआई को सौंप दी। उन्होंने आर. जी. कर के प्रिंसिपल की तीखी आलोचना करते हुए उन्हें लम्बी छुट्टी पर जाने को बाध्य कर दिया। हाईकोर्ट के इन कदमों ने मरहम तो लगाया है पर जब तक असली अपराधी सामने नहीं लाये जाते और कार्यरत डाक्टरों की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं किये जाते, वे संतुष्ट नहीं हो पा रहे है। मित्रों हम पाठक मंच की ओर से इस जघन्य हत्याकांड की जोरदार निंदा करते हुए दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग करते हैं। साथ ही सरकार से भी मांग करते हैं कि सुरक्षा प्रदान करने समेत डाक्टरों की सभी उचित मांगों को मानकर उन पर तत्काल कार्रवाई करे। हम मृतक महिला चिकित्सक की आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हुए परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करते हैं कि मृतका के परिवार को इस असह्य दुख को सहने की शक्ति दे। अंत में हम आंदोलनकारी डाक्टरों से अपील करते हैं कि वे कोई ऐसा रास्ता निकालें कि जब तक समाधान न हो आंदोलन भी चलता रहे और आम जनता को चिकित्सा के अभाव में कष्ट न हो, अन्यथा कुछ दिनों बाद जनमत विपरीत प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकता है। यहां एक विनम्र सुझाव है कि रोजाना 4 घंटे (समय कम- अधिक कर सकते हैं) आंदोलन करें तथा चिकित्सा व्यवस्था को सामान्य रूप से चलने दें। मेरे पत्रकारिता जीवन का लम्बा अनुभव यह बताता है कि यदि आप लोगों ने आंदोलन अभी समाप्त कर दिया तो सरकार, जांच एजेन्सी सहित समस्याओं का समाधान करनेवाले सभी संबंधित पक्ष ढ़ीले पड़ जायेंगे, पर यदि आंदोलन चलता रहा तो सजगता बनी रहेगी और समाधान जल्द होगा, जांच परिणाम भी शीघ्र आयेगा। आन्दोलनकारी डाक्टरों, हमने तो सिर्फ निवेदन भर किया है, वैसे आपलोगों को जो भी उचित लगे, वैसा कीजिएगा।

मित्रों कल 15 अगस्त है, स्वतंत्रता दिवस है। पाठक मंच के सभी सदस्यों तथा शुभेच्छुओं को इस पावन पर्व की हार्दिक बधाई देता हूं !
सीताराम अग्रवाल
वरिष्ठ पत्रकार और संस्थापक पाठक मंच
14 अगस्त 2024
