रक्षा विशेषज्ञ ने कहा : अमेरिका ने यूक्रेन को बलि का बकरा बनाया

 

कोलकाता :। आज पूरी दुनिया की निगाहें रूस और यूक्रेन के हिंसक संघर्ष पर टिक गई हैं। गुरुवार को ही रूस ने अपने पड़ोसी देश यूक्रेन पर चौतरफा हमला बोल दिया है। जल, थल और वायु सेना के जरिए यूक्रेन को चारों तरफ से घेर लिया गया है और राजधानी कीव में भी रूस के सैनिक प्रवेश कर चुके हैं। आखिर यह युद्ध क्यों हो रहा है और इसमें अमेरिका तथा नाटो बालों की क्या भूमिका है? इस बारे में स्थिति स्पष्ट करने के लिए “हिन्दुस्थान समाचार” ने रक्षा विशेषज्ञ लेफ्टिनेंट उदय शंकर सिंह (सेवानिवृत्त) से विशेष बातचीत की है। उन्होंने कहा है कि अमेरिका ने यूक्रेन को बलि का बकरा बनाया है। पूर्व सैन्य अधिकारी ने कहा कि 1949 में जब नाटो बलों का गठन किया गया था तब केवल 12 देशों को मिलाकर सैन्य ताकत बनाई गई थी। तब अमेरिका का मुख्य मकसद अखंड सोवियत संघ को तोड़ना था। विश्वयुद्ध के बाद दुनिया में अमेरिका और रूस दो सबसे बड़ी ताकत के रूप में उभरे थे लेकिन अमेरिका एकलौती ताकत बने रहना चाहता था इसलिए नाटो बलों का गठन किया गया। बाद में इस सैनिक गठबंधन में अमेरिका की कोशिश लगातार उन देशों को शामिल करने की रही है जो रूस के आसपास हैं अथवा किसी भी तरह से रूस से जुड़े रहे हैं। 1991 में रूस के 14 टुकड़े होने के बाद आज नाटो बलों में 30 देश शामिल हैं‌ और इनकी चौतरफा घेराबंदी रूस के आसपास रही है। हाल ही में नाटो ने यूक्रेन को शामिल होने का न्योता दिया था। रूस की लड़ाई इसी वजह से हो रही है क्योंकि यूक्रेन की सीमाएं रूस की सीमाओं से सटी हुई हैं और अगर वह नाटो में शामिल होता है तो अमेरिका ब्रिटेन फ्रांस जर्मनी समेत दुनियाभर के अमेरिका समर्थक 30 देशों के हथियार और सैनिक उसकी सीमा पर खड़े हो जाएंगे। यहां तक कि पड़ोसी देशों से अगर रूस में कोई सामरिक गतिविधि को अंजाम दे दिया जाता है तो रूस को उन देशों से मुकाबला करने से पहले 30 देशों से भिड़ना होगा। इसीलिए रूस का रुख सख्त है और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कह चुके हैं कि यूक्रेन का नाटो बलों में शामिल होना उन्हें मंजूर नहीं और इसका लिखित में जब तक आश्वासन नहीं मिलेगा तब तक जंग जारी रहेगी। उन्होंने यह भी कहा है कि यूक्रेन की सैन्य ताकत को पूरी तरह से खत्म करना उनका मकसद है और यह होकर रहेगा।
——
अमेरिका ने की है वादाखिलाफी
– उदय शंकर ने अमेरिका पर यूक्रेन को युद्ध में धकेलने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक दिन पहले ही यूक्रेन के राष्ट्रपति ने देश के नाम संबोधन में स्पष्ट कर दिया है कि युद्ध की स्थिति में अमेरिका ने उन्हें अकेला छोड़ दिया है। स्पष्ट है कि जब तक युद्ध शुरू नहीं हुए थे तब तक अमेरिका लगातार रूस को धमकी दे रहा था और यूक्रेन को मदद का आश्वासन दिया था। इसी भरोसे यूक्रेन अपने रुख से पीछे नहीं हटा और अब जंग की जब स्थिति बनी है तो अमेरिका पीछे हट गया है। कुल मिलाकर कहा जाए तो यूक्रेन को अमेरिका ने बलि का बकरा बनाया और अपने पुराने दुश्मन रूस के खिलाफ इस्तेमाल किया है।
आज के विकसित जमाने में यूक्रेन जैसे छोटे देश पर रूस के हमले से दुनिया भर में पुतिन की आलोचना हो रही है और इसी का लाभ अमेरिका लेना चाहता था। इसका लाभ उठाते हुए एक तरफ उसने रूस पर कई सारे प्रतिबंध लगाए हैं और दूसरी और पूरी दुनिया में पुतिन को बदनाम करने का एक भी मौका नहीं छोड़ रहा। यानी यूक्रेन की जनता अंजाम भुगत रही है और लाभ ले रहा है अमेरिका।
उदय शंकर ने बताया कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी पुतिन से बातचीत में बातचीत के जरिए मसले को हल का सुझाव दिया है लेकिन वर्तमान में जो स्थिति बनी है उसमें युद्ध को रोकना संभव नहीं दिख रहा। यह युद्ध तब तक नहीं रुकेगा जब तक यूक्रेन का सैन्य बल पूरी तरह से खत्म ना हो जाए अथवा रूस को हो यह लिखित में आश्वासन ना मिले कि यूक्रेन को नाटो बलों में शामिल नहीं किया जाएगा।
——
पाकिस्तान के इरादे भी नेक नहीं
– इसके अलावा पुतिन से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की मुलाकात और इसके भारत पर असर से संबंधित सवाल के जवाब में उदय शंकर ने कहा कि चीन के कहने पर पाकिस्तान रूस को समर्थन देने पहुंचा है लेकिन इसका कोई भी असर भारत पर नहीं पड़ेगा। इसकी वजह है कि रूस भारत का पुराना सहयोगी रहा है और अच्छे बुरे दौर में साथ खड़ा रहा है। भारत ने इस युद्ध में रूस का विरोध नहीं किया है बल्कि शांति से समस्या के समाधान का परामर्श दिया है। इसलिए पाकिस्तान की मंशा किसी भी तरह से पूरी नहीं होगी।
युद्ध के दुष्परिणामों के बारे में जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि दोनों देशों के जानमाल का नुकसान तो होगा ही साथ ही पूरी दुनिया में वित्तीय संकट भी बढ़ेगा। पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत एक बार फिर बढ़ने लगेगी। यूरोपीय देशों से न केवल गैस की आपूर्ति होती है बल्कि बड़े पैमाने पर पेट्रोलियम आपूर्ति होती है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि एक सप्ताह के अंदर युद्ध निर्णायक स्थिति में पहुंच सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Open chat
1
Hello
Can we help you?