वन मंत्री रहते हुए भी राशन वितरण भ्रष्टाचार में शामिल थे ज्योतिप्रिय मलिक

 

कोलकाता। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दावा किया है कि पश्चिम बंगाल के गिरफ्तार मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक खाद्य विभाग से हटकर वन मंत्री बनाए जाने के बाद भी राशन वितरण भ्रष्टाचार में शामिल थे। 2021 में उनकाे खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की जगह राज्य वन विभाग का मंत्री बना दिया गया था। ईडी के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है। मंगलवार को साल्ट लेक में अरण्य भवन में राज्य वन विभाग मुख्यालय में मैराथन छापेमारी और तलाशी अभियान के दौरान, ईडी के अधिकारियों ने राज्य के वन मंत्री के रूप में मलिक के कक्ष से महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए। सूत्रों ने कहा कि अन्य चीजों के अलावा, ईडी के अधिकारियों ने किसानों से खाद्यान्न की सीधी खरीद के लिए 100 अनुबंध-पत्र भी बरामद किए। इन दस्तावेजों की जब्ती से, जो राज्य वन विभाग के कार्यालय के बजाय राज्य खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के कार्यालय में होने चाहिए, साफ है कि मलिक भ्रष्टाचार में अभी तक शामिल रहे हैं। केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों को यह स्पष्ट हो गया कि राशन वितरण मामले से मलिक का राज्य के वन मंत्री के रूप में भी जुड़ाव जारी रहा। वह 2011 से 2021 तक राज्य के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री थे, वह अवधि जब राशन वितरण में अनियमितताएं चरम पर थीं। 2021 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद, मलिक को राज्य का वन मंत्री बनाया गया। ईडी अधिकारियों के निष्कर्षों के अनुसार, पूरे राशन वितरण मामले में किसानों से सीधी खाद्यान्न खरीद एक महत्वपूर्ण घटक थी, जब गरीब किसानों को धोखा दिया गया था।कार्यप्रणाली यह थी कि पहले खाद्यान्न को फर्जी किसान सहकारी समितियों के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमतों पर खरीदा गया था और उसके बाद खुले बाजारों में एमएसपी से अधिक कीमतों पर बेचा गया था। मंगलवार को ईडी अधिकारियों ने सावधि जमा और जीवन बीमा प्रमाणपत्र के रूप में 10 करोड़ रुपये की संपत्ति के दस्तावेज भी बरामद किए। जांच एजेंसी ने करीब 600 खाली स्टांप पेपर भी बरामद किए। केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों को संदेह है कि इन स्टांप-पेपरों का इस्तेमाल अतिरिक्त संपत्ति की खरीद के लिए किया जान

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