कपड़ा मंत्रालय कपड़ा पर जीएसटी दरों में वृद्धि के पक्ष में नहीं है – सुभाष अग्रवाला

 

 

आसनसोल (संवाददाता):- कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) पश्चिम बंगाल के चेयरमैन सुभाष अग्रवाला ने पत्रकारों को बताया कि केंद्रीय कपड़ा मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत में कहा कि कपड़े पर जीएसटी दरों में 5% से 12% की वृद्धि के संबंध में, कपड़ा मंत्रालय ने अवगत कराया है कि जीएसटी में किसी भी वृद्धि के बजाय जीएसटी दरों को यथास्थित रखना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जीएसटी में शुल्क ढांचे को युक्तिसंगत बनाने की आवश्यकता है लेकिन एक सावधान दृष्टिकोण और भी अधिक आवश्यक है। श्री गोयल की ने यह स्पष्टीकरण कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने संसद भवन कार्यालय में श्री गोयल के साथ इस मुद्दे को दृढ़ता से उठाया और देश भर के व्यापारियों और उपभोक्ताओं की भावनाओं से उनको अवगत कराया।
श्री खंडेलवाल ने कहा कि श्री गोयल के स्पष्ट बयान के बाद कैट अब जीएसटी परिषद के फैसले को वापिस लेने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण और सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों से संपर्क करेगी। देश की 85% से अधिक आबादी एक हजार रुपये से कम के वस्त्रों का उपयोग कर रही है, जिस पर वर्तमान में जीएसटी कर की दर 5% है। टेक्सटाइल्स पर जीएसटी दरों में किसी भी तरह की बढ़ोतरी से उपभोक्ताओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और जीएसटी विभाग के पास छोटे व्यापारियों की पूंजी भी अवरुद्ध हो जाएगी।
विदेशी ई-कॉमर्स दिग्गजों के निरंतर कदाचार के कारण भारत के ई-कॉमर्स बाजार की स्थिति अत्यधिक खराब होने के खिलाफ गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए, कैट प्रतिनिधिमंडल ने श्री गोयल का ध्यान आकर्षित किया जो वाणिज्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री भी हैं। दोनों मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी भी इस मीटिंग में मौजूद थे । वाणिज्य मंत्रालय में डीपीआईआईटी और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय इस मुद्दे के विभिन्न समाधानों पर सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं और जल्द ही भारत में एक मजबूत और पारदर्शी ई-कॉमर्स इको-सिस्टम सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
कैट के राष्ट्रीय सचिव सुमित अग्रवाल ने कहा कि हमने सीआईएम से उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा प्रकाशित ई-कॉमर्स नियमों को तुरंत लागू करने का अनुरोध किया है। ऐसी महत्वपूर्ण अधिसूचना को लागू करने में देरी क्यों हो रही है जो लाखों हितधारकों की आजीविका को प्रभावित करती है और काफी हद तक परिभाषित करती है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Open chat
1
Hello
Can we help you?