– छात्रों और कर्मचारियों की मांगों पर चर्चा, 18 दिन से चल रही कर्मचारियों की हड़ताल खत्म
– सभी मुद्दों और विषयों पर एकजुट रहे सिंडिकेट सदस्य
जयपुर (आकाश शर्मा)। राजस्थान विश्वविद्यालय में शुक्रवार को आयोजित सिंडिकेट बैठक में छात्रों और ठेका कर्मचारियों की प्रमुख समस्याओं और मांगों पर गहन चर्चा हुई। बैठक के दौरान विश्वविद्यालय परिसर में छात्र संगठनों द्वारा छात्रसंघ चुनावों की बहाली सहित विभिन्न मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया गया।
बैठक से पहले सिंडिकेट सदस्य और विधायक गोपाल शर्मा और विराटनगर विधायक कुलदीप धनखड़ ने छात्र और कर्मचारी प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उनकी मांगों का समर्थन किया और उनके हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्धता जताई। विधायक शर्मा ने पुलिस आयुक्त से बातचीत कर परिसर में पुलिस बल की तैनाती और प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई न करने का आग्रह किया।
सिंडिकेट बैठक में अकादमिक परिषद की बैठक में हुए निर्णयों का अनुमोदन, यूजीसी गाइडलाइंस को पूर्णतया फॉलो करने, महिला सुरक्षाकर्मियों की नियुक्ति, छात्रसंघ चुनाव के नाम पर फीस नहीं लेने, संविदा कर्मचारियों के वेतन बढ़ोतरी, नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन, सेवानिवृत्त प्राध्यापकों की पेंशन और पदोन्नति जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई। बैठक में अबकी बार किसी प्रकार की असहमति नहीं रही, लगभग सभी सदस्य मुद्दों पर एकजुट रहे।
बैठक के बाद सिविल लाइंस विधायक गोपाल शर्मा ने पुनः छात्र और कर्मचारी प्रतिनिधियों से मुलाकात की और उन्हें बैठक में हुई चर्चा व निर्णयों की जानकारी दी। उन्होंने सभी पक्षों से संवाद और सहयोग की अपील की। साथ ही, वेतन बढ़ोतरी के लिए 18 दिन से चली आ रही वाल्मीकि समाज के ठेका कर्मचारियों की हड़ताल समाप्त कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने आश्वासन दिया कि आवश्यक होने पर ये मुद्दे विधानसभा और कुलाधिपति राज्यपाल के समक्ष उठाए जाएंगे।
विधायक गोपाल शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन, छात्रों और कर्मचारियों के बीच बेहतर संवाद और सहयोग से ही समस्याओं का समाधान संभव है। सरकार के प्रतिनिधि होने के नाते हम सभी हितधारकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह बैठक विश्वविद्यालय के शैक्षणिक माहौल और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण थी, अन्य मांगों के समाधान के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा आवश्यक सकारात्मक कदम उठाए जाएंगे।
इससे पूर्व, परिसर में बड़ी संख्या में ठेका कर्मचारियों और छात्र प्रतिनिधियों ने विश्वविद्यालय की कुलगुरु के खिलाफ प्रदर्शन किया। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन पर कर्मचारियों व छात्रहितों की अनदेखी और हठधर्मिता का आरोप लगाया, जिसके कारण कई मुद्दे लंबे समय अनसुलझे हैं। वहीं, प्रदर्शनकारियों ने बैठक में छात्र प्रतिनिधियों और कर्मचारियों के प्रतिनिधियों को शामिल न किए जाने के कारण विश्वविद्यालय प्रशासन पर लोकतांत्रिक सहभागिता को सीमित करने का आरोप लगाया।