रानीगंज /भारतीय शास्त्रीय नृत्य की उप शैली है अंडाल के मदनपुर पंचायत क्षेत्र की रहने वाली शिल्पी पीयाली भट्टाचार्य स्कूली छात्राओं को भरतनाट्यम नृत्य में महारत हासिल करवा रही है पिछले 8 वर्षों से उन्होंने कई छात्राओं को इस नृत्य के प्रति महारत दिलवाई है उनकी कई छात्राएं उनसे नृत्य की शिक्षा लेने के बाद बोलपुर शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय से डांस की पढ़ाई भी कर रही है। पियाली ने बतलाया कि जिस प्रकार अंग्रेजी विषय में महारत हासिल करने के लिए पहले एबीसी सीखनी पड़ती है उसी तरह किसी भी प्रकार का डांस हो सबसे पहले भरतनाट्यम से नृत्य की शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए। इस नृत्यकरता द्वारा कई प्रकार की भावनाओं को व्यक्त करने के लिए हाथ और आंख का संचालन अधिक किया जाता है। दक्षिण भारत की शास्त्रीय नृत्य शैली है इस नृत्य कला में भावम, रागम ,और तालम इन 3 कलाओं का समावेश होता है भारत के सबसे पुराने शास्त्रीय नृत्य में एक है। उन्होंने कहा कि बंगाली समुदाय की अधिकांश लड़कियां उनकी स्टूडेंट्स है एवं कई बड़े बड़े कार्यक्रमों में उनके स्टूडेंट्स को नृत्य की प्रस्तुति के लिए आमंत्रित किया जाता है। पियाली भट्टाचार्य को भरतनाट्यम नृत्य के लिए कई बार पुरस्कार भी मिल चुके हैं।