भाजपा विधायक ने पीएम को पत्र लिखकर मुर्शिदाबाद को केंद्र शासित राज्य बनाने की मांग की

 

 तृणमूल ने कहा-बंग भंग की साजिश

कोलकात । पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मुर्शिदाबाद को दो हिस्सों में बांट कर दो जिला बना दिया है। इसे लेकर वहां से भारतीय जनता पार्टी के विधायक गौरी शंकर घोष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जिले को केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर घोषित करने की मांग की है। उन्होंने पत्र की प्रति राज्यपाल गणेशन को भी भेजी है। इसे लेकर तृणमूल कांग्रेस ने तीखी नाराजगी जताई है। पार्टी के राज्यसभा सांसद शांतनु सेन ने कहा है कि भाजपा देश को‌तोड़ना चाहती है। बंगाल को बांटना चाहती है। बंगाल भाजपा के नेता लगातार इस तरह की मांग करते रहते है, जबकि उनके केंद्रीय नेता बंगाल आते है, तो कहते हैं कि हम बंगाल के बंटवारे के पक्ष में नहीं है। गौरी शंकर घोष ने जो पत्र लिखा है, उसमें लिखा है कि अखंड मुर्शिदाबाद बंगाल, बिहार और ओडिशा की राजधानी रहा है। बंगाल के पहले नवाब मुर्शीद कुली खान के नाम के अनुसार इसका नाम पहले मुख्य सुधा बाद और बाद में मुर्शिदाबाद कर दिया गया। अब ममता बनर्जी इस जिले का हिस्सा कर अलग-अलग नाम रखकर यहां के इतिहास को बदलना चाहती हैं। इसीलिए अखंड मुर्शिदाबाद को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया जाना चाहिए। इसी पर पलटवार करते हुए सांतनु सेन ने उक्त बातें कही है। उन्होंने यह भी कहा है कि जो पार्टी देश के इतिहास संघीय ढांचे को रोज तोड़ रही है। अशोक स्तंभ को बदल रही है। उनके प्रतिनिधि ऐसी बातें करें यह शोभा नहीं देता। सच्चाई यही है कि भाजपा का एकमात्र लक्ष्य सत्ता का दुरुपयोग करना है। प्रशासनिक तौर पर बेहतर कार्यों के लिए जिले को दो हिस्सों में बांटने का निर्णय मुख्यमंत्री ने लिया है। जिस पार्टी के नेता रोज बंगाल को दो हिस्सों में बांटने की बात करते हैं, वह अखंड मुर्शिदाबाद की बातें करेगा शोभा नहीं देता। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मुर्शिदाबाद को तीन हिस्सों में बांट कर बहरामपुर और कांथी नाम से दो अलग जिले बनाए हैं। आगामी 6 महीने के भीतर इसका क्रियान्वयन किया जाना है। इसे लेकर लोकसभा में कांग्रेस के नेता और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने भी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा है कि मुर्शिदाबाद को प्रशासनिक सुविधा के लिए 3 जिलों में बांटा गया है। यह बुरी बात नहीं है। लेकिन उत्तर, पश्चिम, दक्षिण या पूर्व मुर्शिदाबाद नाम रखा जा सकता था। इसके बदले कोई दूसरा नाम स्वीकार्य नहीं है और इसके खिलाफ जिले भर में लोग विरोध जताएंगे। इसके पहले इमाम एसोसिएशन ने भी एक बयान जारी कर मुर्शिदाबाद तोड़ कर बनाए गए दो और जिलों का अलग नाम रखने पर आपत्ति जताई थी। संगठन ने आरोप लगाया था कि भारतीय जनता पार्टी की तरह तृणमूल कांग्रेस भी राजनीतिक लाभ के लिए नाम बदलकर इतिहास बदलने की कोशिश कर रही है

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