ममता ने नहीं बुद्धदेव ने की थी ईस्ट वेस्ट मेट्रो की शुरुआत, ममता ने की थी रोकने की कोशिश

 

कोलकाता । भारत के सबसे पुराने शहरों में से एक कोलकाता की लाइफ लाइन बन चुकी मेट्रो रेलवे के इतिहास में नया अध्याय जोड़ते हुए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने ईस्ट वेस्ट मेट्रो रूट के सियालदह मेट्रो स्टेशन का उद्घाटन सोमवार को किया है। इस मेट्रो परियोजना की शुरुआत से लेकर इसके उद्घाटन और अन्य कार्यक्रमों पर राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को आमंत्रित करने के बावजूद आमंत्रित नहीं करने का बेबुनियाद दावा कर आंसू बहाती रही है। पार्टी लगातार इस बात का जिक्र करती है कि रेल मंत्री रहते हुए ममता बनर्जी ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना को हरी झंडी दी थी। लेकिन सच्चाई इसके बिलकुल विपरीत है। वास्तविकता यह है कि ईस्ट वेस्ट मेट्रो परियोजना से ममता बनर्जी का कहीं कोई संबंध ही नहीं रहा है। बुद्धदेव भट्टाचार्य के पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहते परियोजना का शिलान्यास हुआ था। उस समय कोलकाता मेट्रो रेल कारपोरेशन भारत सरकार के रेल मंत्रालय के अधीन नहीं था बल्कि शहरी विकास विभाग के अधीन था और तब यूपीए-1 की सरकार में मंत्री रहे प्रणब मुखर्जी की मदद से बंगाल में इस परियोजना को हरी झंडी मिली थी। तब ममता बनर्जी ने इस परियोजना में मदद के बजाय इसे रोकने की पूरी कोशिश की थी। यहां तक कि जब कोलकाता के लिए इस महत्वाकांक्षी परियोजना को तत्कालीन केंद्र सरकार ने हरी झंडी दी थी तब ममता ने विरोध जताते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से कहा था, “कर्ज में डूबे पश्चिम बंगाल को केंद्र इतना पैसा क्यों दे रहा है? बंगाल की मदद करना बंद करिए। लोकसभा चुनाव खत्म हो गया है। आप अभी भी माकपा के साथ क्यों खड़े हैं।”

भारत की ऐतिहासिक गंगा नदी के नीचे से गुजरने वाली देश की इस पहली महत्वकांक्षी परियोजना को जब पश्चिम बंगाल में हरी झंडी मिली थी तब ममता इस कदर नाराज थीं कि उन्होंने मनमोहन सिंह को खरी खोटी सुनाते हुए राज्य की इस महत्वकांक्षी योजना का महत्व समझे बगैर इसे तत्कालीन माकपा सरकार की मदद माना था।
पश्चिम बंगाल में कई बड़े अखबारों में पत्रकारिता कर चुके वरिष्ठ पत्रकार सन्मय बनर्जी कहते हैं, “22 फरवरी 2009 को जब ईस्ट वेस्ट मेट्रो परियोजना का शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य और तत्कालीन केंद्रीय विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी की उपस्थिति में हुआ था तब ममता के निर्देश पर उनकी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कोलकाता आ रहे प्रणव को काले झंडे भी दिखाए थे।”
सन्मय कहते हैं कि इस परियोजना की मंजूरी के समय ममता केंद्र में मंत्री ही नहीं थीं। जब शिलान्यास हुआ तब भी रेल मंत्रालय से उनका कोई नाता नहीं था और 22 फरवरी को जब इस महत्वकांक्षी परियोजना की आधारशिला रखी गई तब ममता के कहने पर उनकी पार्टी के नेता पार्थ चटर्जी ने प्रेस कांफ्रेंस कर प्रणब मुखर्जी पर हमला बोला था।
पार्थ ने कहा था, “बंगाल के नायक प्रणव मुखर्जी माकपा के नए नेता बन रहे हैं। सिंगुर और नंदीग्राम के आंदोलन के दौरान वे नजर नहीं आए। वह बंगाल के लोगों के साथ कभी खड़े नहीं थे लेकिन अब ईस्ट वेस्ट मेट्रो के शिलान्यास में आकर बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं।”
सनम्य बताते हैं कि तब की सरकारों ने लोगों के हित में और कोलकाता के विकास के लिए तमाम राजनीतिक वैमनस्य को परे हटा कर इस परियोजना को हरी झंडी दी थी। ईस्ट वेस्ट मेट्रो के शिलान्यास से कुछ दिन पहले ही माकपा ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। बावजूद इसके तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के निमंत्रण पर तब के कांग्रेस के दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री प्रणब मुखर्जी बंगाल आए। उन्होंने एक मंच पर एक साथ आकर परियोजना का शिलान्यास किया और संबोधन करते हुए कहा था कि भारत जैसे गरीब देश में विकास की राह में कई बाधाएं हैं। पैसे और तकनीक की कमी है लेकिन यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण होगा कि हम विकास कार्य में एक साथ खड़े ना हो सकें और राजनीतिक वैमनस्य को परे हटा कर लोगों के हित में आगे ना बढ़े।

सन्मय मुखर्जी कहते हैं कि ईस्ट वेस्ट मेट्रो के सियालदह स्टेशन के उद्घाटन से पहले कोलकाता के मेयर और ममता बनर्जी के बेहद खास फिरहाद हकीम लगातार मीडिया के कैमरों के सामने नजर आ रहे हैं और कह रहे हैं कि ममता बनर्जी ने इस परियोजना को रेल मंत्री रहते हुए मंजूरी दी थी जबकि सच्चाई इसके परे है।
ईस्ट वेस्ट मेट्रो परियोजना की आधारशिला रखते हुए बुद्धदेव भट्टाचार्य ने अपने संबोधन में उस समय स्पष्ट बताया था कि हावड़ा मैदान से साल्ट लेक सेक्टर 5 के बीच बन रहे इस महत्वाकांक्षी मेट्रो परियोजना में 12 स्टेशन होंगे। उन्होंने तब परियोजना के पूरा होने की डेट लाइन 31 अक्टूबर 2014 बताई थी लेकिन तमाम समस्याओं और राज्य सरकार के रोक-टोक, असहयोग की वजह से इसमें अभी तक आठ साल की देरी हो चुकी है और अभी भी परियोजना के पूरा होने में काफी वक्त लगना है। इसलिए ईस्ट वेस्ट मेट्रो की सौगात पश्चिम बंगाल को देने में ममता की कभी कोई भूमिका नहीं रही है उल्टे उन्होंने इसका पुरजोर विरोध भी किया था।
उल्लेखनीय है कि 22 फरवरी 2009 को जब इस परियोजना की आधारशिला रखी गई थी तब इसका बजट 4874.58 करोड बताया था। इसमे से 2253 करोड रुपये जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी से मिलने थे जबकि बाकी के खर्च का आधा हिस्सा केंद्र को देना था और बाकी आधा राज्य सरकार वहन करने वाली थी। हालांकि बाद में जब सरकार बदली और वित्तीय संकट गहराने लगा तब केंद्र ने पूरा खर्च उठाने की घोषणा की और इस परियोजना को पूरा करने का काम चल रहा है। ऐसे में केंद्रीय मंत्री के हाथों उद्घाटन को लेकर तृणमूल कांग्रेस के ममता द्वारा परियोजना को हरी झंडी संबंधित बेबुनियाद दावे अपने आप में सवालों के घेरे में है। वह भी तब जब रेलवे ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत तृणमूल के सभी स्थानीय नेताओं को आमंत्रित किया। इसके अलावा कोलकाता के इतिहास में जुड़े इस महत्वपूर्ण अध्याय का बहिष्कार भी तृणमूल कांग्रेस ने किया और पार्टी के कोई भी नेता कार्यक्रम में नहीं पहुंचे। सन्मय कहते हैं कि राजनीतिक प्रतिद्वंदिता अपनी जगह है लेकिन विकास के काम में एकजुटता प्रणब मुखर्जी और बुद्धदेव भट्टाचार्य से सीखनी चाहिए।

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