श्रीकृष्ण एवम् सुदामा की मित्रता समाज में परस्पर सद्भावना, समानता की प्रेरणा देती है — स्वामी त्रिभुवनपुरी महाराज

हावड़ा । भागवताचार्य स्वामी त्रिभुवनपुरी महाराज ने श्रीमद्भागवत महापुराण सप्ताह ज्ञानयज्ञ में पूर्णाहुति के अवसर पर कृष्ण – सुदामा मित्रता के प्रसंग में कहा अपनी जिद्द को मानकर सुदामा अपने बाल सखा कृष्ण से मिलने द्वारिका गए । अपने मित्र सुदामा के आने का संदेश पाकर श्रीकृष्ण नंगे पैर सुदामा का स्वागत करने दौड़ पड़ते हैं । श्रीकृष्ण एवम् सुदामा की मित्रता समाज में अमीर – गरीब वर्ग में परस्पर सद्भावना, समानता की प्रेरणा देती है । स्वामी त्रिभुवनपुरी महाराज ने भारतीय संस्कृति, वैदिक सनातन धर्म में गोमाता, गंगा, गायत्री की महिमा पर कहा भगवान श्रीकृष्ण का बचपन गौसेवा में बीता, इसीलिए उनका नाम गोपाल पड़ा । मोरमुकुटधारी, पीताम्बरधारी श्रीकृष्ण के जीवन में गौमाता उनकी आराध्य हैं । बांसुरी लिए हुए गाय चराने जाते थे एवं गौमाता, बछड़ों को मुरली की धुन सुनाते थे । स्वामी त्रिभुवनपुरी महाराज ने श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्द्धन धारण का प्रसंग सुनाते हुए कहा  गोवर्द्धन परिक्रमा से भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा-अर्चना और भोग अर्पित करने की परम्परा है । समाजसेवी राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता (कपूरवाले), अनिल जालान, सांवरिया सत्संग प्रेमी परिवार के संदीप पोद्दार, धीरेन अग्रवाल, विजय सिंह, मनोज अग्रवाल, राजकुमार मालपानी, दीपक गुप्ता, राजेश डालमिया, रितेश केजरीवाल, राकेश सिंघानिया, दिलीप कानोड़िया, दीपक नोपानी, अरुण गोयल, पंचानंद ओझा, संजय बुराकिया, राजू खरकिया एवम् श्रद्धालु भक्तों ने व्यास पीठ का पूजन किया ।

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