नई दिल्ली:’ पत्रकारिता एक मिशन है, यह मुनाफाखोरी की चीज नहीं है। इसका सीधा संबंध समाज से है। पत्रकारिता समाज की समस्याओं को सरकार की दहलीज तक पाहुंचाने और सरकार की नीतियों को लोगों तक पहुंचाने का नाम है। उक्त टिप्पणी मीडिया पर्सनैलिटी और जाने माने सोशल एक्टिविस्ट संजय सिन्हा ने की।उन्होंने ये बातें प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के प्रेक्षागृह में पत्रकारिता पर आधारित एक समारोह को बतौर विशेष अतिथि संबोधित करते हुए कहीं।
इंटरनेशनल मीडिया फोरम के चेयरमैन संजय सिन्हा ने कहा कि, ‘ पत्रकारिता में गलत चीजों की निंदा की जानी चाहिए और सही चीजों की सराहना की जानी चाहिए। इससे समाज में परिवर्तन होता है। आज सोशल मीडिया के आने से एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। क्योंकि पत्रकारिता केवल सच बयान करती है और लोगों को दिशा भी देती है कि अब क्या होना चाहिए। जबकि सोशल मीडिया बिना रिसर्च के ही जानकारी देती है, जो कई बार हालात को और खराब कर देते हैं। हालात तब और खराब हो जाते हैं जब मीडिया के लोग समाचार पहुंचाना बंद कर देते हैं और समाचार बेचना शुरू कर देते हैं। जब आपका लक्ष्य बेचना हो जाये, तो इसका सीधा संबंध उस लाभ से होता है जो गलत समाचार फैलाता है, और आजकल, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर, प्रायोजित बहसें होती हैं।’
उन्होंने कहा कि, ‘ आज सिर्फ हिंदी ही नहीं बल्कि सभी भाषाओं के समाचार पत्र संकट का सामना कर रहे हैं।’ श्री सिन्हा ने अपने संबोधन में आगे कहा,
‘ पत्रकारिता भगवान नारद से जुड़ी है। नारद का अर्थ है ज्ञान को बांटने वाला। पत्रकारिता का संपर्क सबसे और मित्रता सिर्फ सत्य से होनी चाहिए। आज नकारात्मक पत्रकारिता बढ़ती जा रही है। समाचार का विश्लेषण जरूरी है। आखिर कोई घटना क्यों घटी। इसकी जानकारी आमजन को मिलनी चाहिए। स्वतंत्रता से पहले पत्रकारिता एक मिशन था। सकारात्मक विषयों के प्रकाश के साथ पत्रकारिता के जरिए समाज जागरण का काम किया जाना चाहिए। ‘
उन्होंने पत्रकार की तुलना सीमा पर तैनात जवान से करते हुए कहा,’ पत्रकारिता का धर्म सत्यता के लिए संघर्ष करना है। इस मौके पर अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया।