आसनसोल। आसनसोल के रूपनारायणपुर में हिंदुस्तान केबल्स की बंद पड़ी फैक्ट्री की 947 एकड़ जमीन को लेकर अटकलें शुरू हो गई हैं। केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय की गतिविधियों से इस जमीन पर औद्योगिक या अन्य विकास परियोजनाएं स्थापित करने की संभावना जगी है, जिससे स्थानीय लोगों के मन में उम्मीद की किरण जगी है। इस इलाके में अक्सर उच्च पदस्थ अधिकारियों का आना-जाना लगा रहता है। पिछले कुछ महीनों में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के विभिन्न प्रतिनिधिमंडल तीन बार यहां का दौरा कर चुके हैं। एसएसबी 63 बटालियन ने मंगलवार को फिर से इसका दौरा किया। आज एसएसबी 63 बटालियन बारासात के राजेश कुमार कुज ने हिंदुस्तान केबल्स का दौरा किया। इस दिन उन्होंने हिंदुस्तान केबल्स के फुटबॉल मैदान, नदी घाट, छतिमतला, श्रमिक मंच समेत विभिन्न इलाकों का दौरा किया। प्रभारी पदाधिकारी आरएन ओझा ने करीब एक घंटे तक बैठक की। जमीन, क्वार्टर, भवन, खुले मैदान और अन्य परिसंपत्तियों की मात्रा के बारे में विस्तृत जानकारी पर चर्चा की गई। अवैध अतिक्रमण का मुद्दा भी उनके संज्ञान में आया। पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर 63 बटालियन बारासात के राजेश कुमार कुज कुछ भी कहने को तैयार नहीं हुए हिंदुस्तान केबल्स पुनर्वास संघ के अध्यक्ष सुभाष महाजन ने कहा कि वे चाहते हैं कि यहां उद्योग आएं, उद्योग आएंगे तो स्थानीय बेरोजगार युवकों को रोजगार मिलेगा। साथ ही क्षेत्र का विकास होगा, लेकिन उन्होंने मांग की कि बंद फैक्ट्री के कर्मचारियों का बकाया भुगतान किया जाए और पुराने क्वार्टर को पूर्व कर्मचारियों के परिवारों या इच्छुक लोगों को लीज पर दिया जाए। इस संबंध में हिंदुस्तान केबल्स के प्रभारी अधिकारी आरएन ओझा ने बताया कि तीनों केंद्रीय बलों सीआईएसएफ, सीआरपीएसएफ, एसएसबी की टीम ने यहां का दौरा किया। ऐसा माना जा रहा है कि अन्य बलों के भी आने की संभावना है। आज सशस्त्र सीमा बल 63 बटालियन बारासात की टीम आई। उन्होंने केबल्स के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा किया। और क्षेत्र के मुद्दों पर चर्चा की। हालांकि, अलग-अलग बलों के टुकड़ों में आने की संभावना है। हालांकि इस संबंध में अपना नाम बताने से कतराने वाले कई लोगों ने अपनी राय जाहिर करते हुए कहा कि इस इलाके में साढ़े नौ एकड़ जमीन है, जिसमें से आधे से ज्यादा पर कब्जा हो चुका है। जिसमें सत्ताधारी पार्टी के कई नेता बड़े-बड़े मकानों पर कब्जा किए हुए हैं। इसके अलावा जिन लोगों के मकान बिक चुके हैं, वे कहां जाएंगे? क्या उन्हें हटाया नहीं जा सकता? जो केंद्रीय बल इस इलाके को लेने के लिए तैयार हैं, उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ेगा।