अनहद अहद’ में डॉ. मालती बसंत और डॉ. आबिद अम्बर का सम्मान :  परकाया प्रवेश जैसा है बाल साहित्य का लेखन- प्रो.संजय द्विवेदी

भोपाल, 22 जून। भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी का कहना है कि बाल साहित्य का लेखन ‘परकाया प्रवेश’ जैसा है। संवेदना, वात्सल्य और मासूमियत से ही बच्चों को संबोधित किया जा सकता है,अहद जी ऐसे ही रचनाकार थे। वो बहुत बेहतर इंसान थे, इसलिए वे बच्चों के लिए प्रभावी लेखन कर पाए।
प्रोफेसर द्विवेदी रविवार को हिंदी भवन में मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा शहर के सुप्रसिद्ध ग़ज़लकार एवं बाल साहित्यकार अहद प्रकाश की स्मृति में आयोजित ‘अनहद अहद’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।


इस मौके पर सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार डॉ. मालती बसन्त को ‘अहद प्रकाश बाल साहित्य गौरव सम्मान 2025’ व प्रख्यात ग़ज़लकार डॉ. अम्बर आबिद को ‘अहद प्रकाश ग़ज़ल गौरव सम्मान 2025’ से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि लघुकथा शोध केन्द्र की निदेशक कान्ता रॉय थीं और अध्यक्षता निराला सृजन पीठ की निदेशक डॉ. साधना बलवटे ने की। कार्यक्रम में स्व.अहद प्रकाश की धर्मपत्नी फ़रज़ाना अहद मौजूद थीं।
जरूरी साहित्यिक पुरखों की याद
प्रोफेसर द्विवेदी ने कहा कि जिस समय में लोग अपने माता-पिता को भी भूल जाते हैं, ऐसे कठिन समय में अपने साहित्यिक पुरखों की याद बहुत महत्वपूर्ण है। अहद प्रकाश की याद उस परंपरा का सम्मान है,जो हममें भारतप्रेमी और संवेदनशील बनाती है। उन्होंने कहा कि अहद जी ने बाल-साहित्य लेखन से एक पूरी पीढ़ी को संस्कारवान बनाया।
स्वागत उद्बोधन में संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने संस्थान के कार्यों और अहद प्रकाश जी के जीवन पर प्रकाश डाला।

मुख्य अतिथि कान्ता रॉय ने कहा कि ‘अहद जी का बाल सुलभ मन सदैव सभी को जोड़ लेता रहा, आज उनकी स्मृतियों को ताज़ा करने का मौका मिला, जो निःसंदेह गरिमामय है।’
बालमन के कुशल चितेरे थे अहद प्रकाश-साधना बलवटे
अध्यक्षता कर रही डॉ. साधना बलवटे ने कहा कि ‘बाल मन के कुशल चितेरे रहे अहद जी का जुड़ाव हर उम्र के लोगों के साथ सहज रहता था। बात मातृभाषा की है तो हमें अपनी मातृभाषा के प्रति जागरुक और सजग रहना चाहिए।’

इस मौके पर सम्मानमूर्ति डॉ. मालती बसंत ने अहद जी की कविता का पाठ कर सम्मान हेतु आभार व्यक्त किया। साथ ही, सम्मानमूर्ति डॉ. अम्बर आबिद ने अहद जी के जीवन से जुड़े कई प्रसंगों को साझा किया।

कार्यक्रम संचालन डॉ. मौसमी परिहार ने किया व आभार फ़रहा अहद ने माना।आयोजन में ऋषि श्रृंगारी, डॉ. मीनू पाण्डेय नयन, राही जी, मृदुल त्यागी, सरवर खान, फलक असद आदि शामिल रहे।

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