आसनसोल। आसनसोल के चित्तरंजन रेलवे इंजन कारखाना (सीएलडब्ल्यू) के प्रशासनिक गलियारों में उस समय हड़कंप मच गया, जब एक वरिष्ठ अधिकारी ने महिला कर्मचारी से दुर्व्यवहार करने के आरोप में प्रदर्शन किया। मामला सीएलडब्ल्यू के इंजीनियरिंग विभाग के एक अधिकारी का है, जिस पर महिला कर्मचारी दीप्ति करकट्टा के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने वाले शब्दों का इस्तेमाल करने का आरोप है। घटना की जानकारी मिलते ही कर्मचारी संघ सक्रिय हो गया। संघ नेता राजीव गुप्ता के अनुसार यह पहली घटना नहीं है। अधिकारी का व्यवहार पहले भी कई कर्मचारियों के साथ अभद्र रहा है। ज्ञात हो कि वह अक्सर छोटी-छोटी बातों पर अपना आपा खो देते हैं और अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हैं। ताजा घटना 14 जून की है, जिसमें दीप्ति करकट्टा ने मानसिक रूप से आहत होकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया और उसी अधिकारी को अपना त्यागपत्र सौंप दिया, जिसने उनका अपमान किया था। लेकिन, इस संवेदनशील मुद्दे को गंभीरता से न लेते हुए अधिकारी ने बिना किसी चर्चा के इस्तीफा स्वीकार कर लिया, जिससे कर्मचारियों में आक्रोश और बढ़ गया। 16 जून को चित्तरंजन रेल कारखाना के महाप्रबंधक कार्यालय की सभी महिला कर्मचारियों ने एकत्र होकर अधिकारी के कक्ष का घेराव कर जोरदार विरोध जताया। इस दौरान प्रशासनिक भवन “महिलाओं की गरिमा से समझौता नहीं” जैसे नारों से गूंज उठा। करीब आधे घंटे तक चले विरोध प्रदर्शन में अधिकारी ने स्पष्ट किया कि काम के अत्यधिक बोझ के कारण उन्होंने ऐसा व्यवहार किया है। लेकिन महिला कर्मचारियों ने इसे सिरे से खारिज करते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की। यूनियन नेता ने यह भी कहा कि इससे पहले भी इसी अधिकारी ने एक कर्मचारी को शिकायत सौंपी थी। काफी देर तक चली बहस और मान-मनौव्वल के बाद आखिरकार दीप्ति करकट्टा का इस्तीफा नामंजूर कर दिया गया। इससे प्रदर्शनकारी महिलाओं का गुस्सा कुछ हद तक शांत हुआ है। हालांकि अभी तक रेल प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन इस घटना ने एक बार फिर कार्यस्थल पर महिलाओं की गरिमा और अधिकारों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यूनियन नेता राजीव गुप्ता ने साफ तौर पर कहा है कि अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच रिश्ते में गरिमा और सम्मान होना चाहिए, अन्यथा इससे न सिर्फ कामकाजी माहौल खराब होता है बल्कि संस्थान की प्रतिष्ठा पर भी असर पड़ता है।