ममता बनर्जी ने की आंदोलन की घोषणा : दवा की कीमतों में वृद्धि के खिलाफ 4 और 5 अप्रैल को राज्य भर में सभा और रैलिया

 

कोलकाता, 2 अप्रैल। केंद्र सरकार के अधीन ‘नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी’ (एनपीपीए) ने 1 अप्रैल से देशभर में 748 आवश्यक दवाओं की कीमतों में वृद्धि को मंजूरी दी है। इस फैसले के खिलाफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कड़ा विरोध जताते हुए इसे तुरंत वापस लेने की मांग की है।
ममता ने बुधवार को नवान्न में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि 4 और 5 अप्रैल को राज्य के हर ब्लॉक और वार्ड में तृणमूल कांग्रेस इस फैसले के खिलाफ सभा और रैलियां करेगी। उन्होंने आम जनता से भी अपने-अपने स्तर पर इस मूल्यवृद्धि के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की।
748 दवाओं की नई कीमतें मंगलवार से लागू हो चुकी हैं। एनपीपीए ने इनकी ‘अधिकतम खुदरा मूल्य’ (एमआरपी) में 1.74 प्रतिशत की वृद्धि को मंजूरी दी है। इस सूची में कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर, बुखार और अन्य आवश्यक बीमारियों की दवाएं शामिल हैं। यहां तक कि आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली पैरासिटामोल भी महंगी हो गई है।
ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के इस फैसले से देश और राज्य के गरीब और मध्यमवर्गीय लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि कुछ दवाओं की कीमत 31.8 प्रतिशत तक बढ़ी है, जबकि कुछ की कीमतें 115.8 प्रतिशत तक बढ़ा दी गई हैं। उन्होंने चिंता जताई कि जो लोग निजी अस्पतालों में महंगा इलाज नहीं करवा सकते, उनके लिए ये दवाएं जीवनरक्षक हैं। उन्होंने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस इस फैसले के खिलाफ शुक्रवार और शनिवार को राज्यभर में आंदोलन करेगी।

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