मप्र के उच्च शिक्षा मंत्री के साथ अर्चित जैन का पाडकास्ट प्रसारित- अंग्रेजों ने नष्ट की भारत की शिक्षा परंपरा: परमार

शिक्षा और भावी भारत पर केंद्रित है संवाद

भोपाल। मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री श्री इंदर सिंह परमार के साथ युवा पाडकास्टर अर्चित जैन का पाडकास्ट उनके यू-ट्यूब चैनल और सोशल मीडिया माध्यम पर प्रसारित किया गया है।
बंगलुरु में रहने वाले अर्चित जैन इन दिनों नामी- गिरामी हस्तियों से संवाद कर रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा, मध्यप्रदेश सरकार के शिक्षा मंत्री इंद्र सिंह परमार, विश्वास सारंग, आईआईएमसी के पूर्व महानिदेशक प्रो.संजय द्विवेदी,गूगल एड्स के ग्लोबल डायरेक्टर राहुल जिंदल, गूगल के प्रिंसिपल साइंटिस्ट प्रतीक जैन, इंफोसिस के सीटीओ श्रीनिवास, आइएएस अधिकारी शोभित जैन से बातचीत की है, जो बहुत चर्चा में रही है।
पाडकास्ट के बारे में अर्चित जैन ने बताया कि इस संवाद में राष्ट्रीय शिक्षा नीति, भारत की पुरानी बनाम नई शिक्षा प्रणाली, कोलंबस की खोज से जुड़ी सच्चाई, राजनीति में उनकी यात्रा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और आचार्य विद्यासागर जी महाराज के मार्गदर्शन पर गहन चर्चा की। यह पॉडकास्ट YouTube, Spotify, Apple Podcast, Amazon Music और 9+ अन्य प्लेटफार्मों पर उपलब्ध है।
मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि धर्मपाल जी ने अपने लेखों में अंग्रेजों द्वारा फैलाए गए कई मिथकों को खंडित किया है। उन्होंने बताया कि 1813 में किए गए सर्वेक्षण के अनुसार भारत में लगभग सात लाख गुरुकुल थे, जहां छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा दी जाती थी। उन्होंने यह भी कहा कि अंग्रेजों के शासन से पहले भारत की साक्षरता दर 80-90% थी, लेकिन जब अंग्रेज भारत से गए, तो इसे 10-12% तक गिरा दिया गया। उन्होंने इसे भारतीय शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ एक साजिश करार दिया। पाडकास्ट में श्री परमार ने कोलंबस और वास्को डी गामा के ऐतिहासिक अभियानों का भी उल्लेख किया। उन्होंने दावा किया कि भारतीयों का अमेरिका से सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंध था और भारत के लोग आठवीं शताब्दी में ही अमेरिका पहुंच चुके थे। उनके अनुसार, माया सभ्यता और सूर्य उपासना से जुड़े प्रमाण इस दावे को मजबूत करते हैं।
मंत्री परमार ने कहा कि 2020 में लागू की गई नई शिक्षा नीति ने भारत की पारंपरिक शिक्षा व्यवस्था को पुनर्जीवित करने की कोशिश की है। उन्होंने बताया कि नई नीति में पुस्तकों के भारी बोझ को कम करने, रटने की प्रणाली को समाप्त करने और व्यावहारिक शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास किया गया है।

उन्होंने कहा, “हमने शिक्षा नीति में बदलाव कर इसे तकनीकी शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा के अनुरूप बनाया है, ताकि युवा केवल डिग्री धारक न बनें, बल्कि रोजगार के लिए भी तैयार हों।”
जब उनसे राजनीति में आने की प्रेरणा के बारे में अर्चित जैन ने पूछा, तो उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और शाखा से मिले अनुभवों ने उन्हें समाज सेवा के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “राजनीति में आने का निर्णय अचानक लिया गया, लेकिन मेरा मुख्य उद्देश्य हमेशा समाज की समस्याओं का समाधान खोजना और देश के विकास में योगदान देना था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर चर्चा करते हुए, उन्होंने कहा कि मोदी जी निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता रखते हैं और भारत को वैश्विक मंच पर मजबूत स्थिति में लाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। पूरी बातचीत इस लिंक पर देखी जा सकती है – https://youtu.be/Uy5nOidaShY?si=LZffgb58tH0uYl0b

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