लोकगायिका शारदा सिन्हा का निधन, दिल्ली के AIIMS में चल रहा था इलाज

नई दिल्ली , 5 नवंबर! प्रख्यात लोक गायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार रात दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) अस्पताल में निधन हो गया। वह 72 वर्ष की थीं।

सिन्हा को पिछले महीने एम्स के कैंसर संस्थान, इंस्टीट्यूट रोटरी कैंसर हॉस्पिटल (आईआरसीएच) की गहन देखभाल इकाई में भर्ती कराया गया था।

एम्स के एक अधिकारी ने बताया, ”शारदा सिन्हा का सेप्टीसीमिया के कारण ‘रिफ्रैक्टरी शॉक’ के चलते रात नौ बजकर 20 मिनट पर निधन हो गया।”

सिन्हा के कुछ लोकप्रिय गीतों में “छठी मैया आई ना दुआरिया”, “कार्तिक मास इजोरिया”, “द्वार छेकाई”, “पटना से”, और “कोयल बिन” हैं। इसके अलावा सिन्हा ने बॉलीवुड फिल्मों में भी गाना गया था। इनमें ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर- टू’ के ‘तार बिजली’, ‘हम आपके हैं कौन’ के ‘बाबुल’ और ‘मैंने प्यार किया’ के ‘कहे तो से सजना’ जैसे गाने शामिल हैं।

इससे पहले एम्स ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में बताया था कि सिन्हा की स्थिति पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार नजर रख रहे हैं और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना की है। शारदा सिन्हा ने भोजपुरी, मैथिली और मगही भाषाओं में लोकगीत गाए थे और वह पद्म भूषण से भी सम्मानित थीं।

सिन्हा को मल्टीपल मायलोमा (एक प्रकार का रक्त कैंसर) था और स्वास्थ्य जटिलता उत्पन्न होने के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।

‘बिहार कोकिला’ के नाम से मशहूर एवं सुपौल में जन्मीं सिन्हा छठ पूजा एवं विवाह जैसे अवसरों पर गाए जाने वाले लोकगीतों के कारण अपने गृह राज्य बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में मशहूर थीं।

भाषा

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