कोलकाता। झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने रणनीति बनानी शुरू कर दी है। झारखंड में भले ही अभी विधानसभा चुनाव की तारीख घोषणा की होना बाकी है। लेकिन भाजपा इसकी जुट गई है। इस बार झारखंड के विधानसभा चुनाव में बंगाल के बीजेपी नेताओं और विधायकों को जिम्मेदारी दी जा रही है। झारखंड में बंगला भाषी काफी तादाद में रहते हैं और उस बंगला भाषी वोट बैंक को आकर्षित करने के लिए पश्चिम बंगाल के नेताओं को प्रभावी भूमिका निभानी होगी। प्रदेश बीजेपी की महासचिव और आसनसोल दक्षिण विधानसभा क्षेत्र की विधायक अग्निमित्र पाल को धनबाद जिले के लिए जिम्मेदारी दी गई है।इसके अलावा झारखंड के पास के जिलों से निर्वाचित विधायकों को बंगाल में विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए भेजने का निर्देश विपक्ष के नेता शुवेंदु अधिकारी के पास पहुंच गया है। बीजेपी संसदीय दल के सूत्रों ने बताया कि बांकुरा, पुरुलिया, झाड़ग्राम, पश्चिम मेदिनीपुर जिलों से चुने गए बीजेपी के विधायक चुनाव प्रचार के लिए झारखंड जाएंगे। वहीं विधायक अग्निमित्र पाल को धनबाद लोकसभा के अंतर्गत आने वाले छह विधानसभा क्षेत्रों पर फोकस करने का निर्देश दिया गया है। नया दायित्व मिलते ही अग्निमित्रा पाल धनबाद के लिए रवाना हो गई। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, अग्निमित्र पाल धनबाद लोकसभा के अंतर्गत आने वाले बोकारो, चंद्रनकुरी, सिंदरी, धनबाद और झरिया विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार के अलावा चुनाव प्रचार का संचालन करेंगी। नई जिम्मेदारी मिलने के बारे में उन्होंने कहा, ‘पार्टी ने निर्देश दे दिए हैं। मैं शीर्ष नेतृत्व के निर्देशों का सम्मान करने का प्रयास करूंगी। उम्मीद है कि झारखंड में बीजेपी सत्ता में आयेगी।अग्निमित्रा पाल के अलावा दार्जिलिंग से दो बार के बीजेपी सांसद राजू बिस्ता को भी झारखंड चुनाव में विशेष जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने जिम्मेदारी भी स्वीकार कर ली. राजू ने कहा, ”मैं पहले भी दूसरे राज्यों में जाकर पार्टी के लिए काम कर चुका हूं. इस बार झारखंड में पार्टी को सत्ता में लाने के लिए कड़ी मेहनत करने का लक्ष्य है।गौरतलब है कि झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी के बाद से बंगाल के भाजपा नेतृत्व को विशेष महत्व दिया जा रहा है। हाल ही में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के पूर्व नेता चंपई सोरेन बीजेपी में शामिल हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक, इस ज्वाइनिंग में पश्चिम बंगाल के विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी की खास भूमिका थी।