कोलकाता पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद व्यापक हिंसा को लेकर हाईकोर्ट ने शुक्रवार को ममता सरकार को तगड़ा झटका दिया है। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की जांच रिपोर्ट के बाद इसकी सुनवाई हुई। विधानसभा चुनावों के बाद हुई हिंसा को लेकर कोर्ट ने ममता सरकार को बड़ा झटका देते हुए सभी मामलों की एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया है। इसके साथ-साथ हिंसा के सभी पीड़ितों का इलाज कराने और उन्हें मुफ्त में राशन मुहैया कराने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि यह राशन उन लोगों को भी मिलना चाहिए, जिनका राशन कार्ड नहीं बना है। बंगाल की ममता सरकार के लिए हाई कोर्ट का यह आदेश बड़े झटके की तरह है। इसका कारण यह है कि ममता सरकार द्वारा राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद हिंसा के आरोपों को खारिज किया जाता रहा है। ममता सरकार का कहना है कि यह भाजपा का प्रॉपेगेंडा है।
एफआईआर दर्ज किए जाने के साथ ही हाई कोर्ट ने मामलों की जांच कर रहे मानवाधिकार आयोग की टीम के कार्यकाल को भी बढ़ा दिया है। अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम चुनावी हिंसा के मामलों की 13 जुलाई तक जांच करेगी। इसी दिन इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख हाई कोर्ट में सुनिश्चित की गई है। यही नहीं हाई कोर्ट की ओर से राज्य के चीफ सेक्रेटरी को आदेश दिया है कि वह चुनावों के बाद हुई हिंसा से जुड़े मामलों के सभी दस्तावेजों को सुरक्षित रखें। बता दें कि मानवाधिकार आयोग को जांच टीम गठित करने का आदेश भी हाई कोर्ट की ओर से ही दिया गया था।
निर्देश के बाद मानवाधिकार आयोग ने सात सदस्यीय टीम का गठन किया है। इस टीम ने पिछले दिनों जादवपुर का दौर किया था और पीड़ितों से मुलाकात की थी। हालांकि इस दौरान टीम पर भी हमला किया गया था। इसी कारण ममता सरकार ने मानवाधिकार आयोग की टीम पर रोक लगाने की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। दरअसल, पश्चिम बंगाल में मार्च-अप्रैल में कई चरणों में हुए विधानसभा चुनावों के बाद राज्य में हिंसा भड़क उठी थी। इस हिंसा में कई लोग घायल भी हुए और कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।