कोलकाता । पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिला अंतर्गत रामपुरहाट के बगटुई गांव में आठ लोगों को जिंदा जलाने वाले घटनास्थल पर आखिरकार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और सांसद अधीर रंजन चौधरी गुरुवार अपराह्न पहुंचे। वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से पहले घटनास्थल के लिए रवाना हुए थे लेकिन उन्हें शांतिनिकेतन के पास ही पुलिस ने रोक दिया था। करीब दो घंटे तक वह धरने पर बैठे रहे जिसके बाद मुख्यमंत्री के वापस लौटने के बाद उन्हें घटनास्थल पर जाने की अनुमति दी गई। चौधरी ने कहा कि यहां का रास्ता किसी के बाप का नहीं है ना ही ममता बनर्जी के पिताजी का है। उन्होंने कहा कि नरसंहार की घटना दिल दहलाने वाली है और इसकी सीबीआई जांच जरूरी है।
उन्होंने कहा, “मुझे यहां आने से रोका गया, मैंने दो घंटे धरना दिया तब जाकर मुझे यहां आने की इजाजत मिली।”
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि बंगाल की मुख्यमंत्री आज यहां पिकनिक करने आईं थीं। हेलिकॉप्टर से आईं यहां खाना खाया और चली गईं। मुख्यमंत्री को यहां के लोगों के साथ बैठकर बातें सुननी चाहिए थी।
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यहां के लोग सरकार पर भरोसा नहीं करते हैं, इसलिए हमने आर्टिकल 355 लगाने की मांग की है, हम इसके लिए कोर्ट में भी गए। हमारी मांग है कि सीबीआई जांच हो। ।
उन्होंने कहा, “मुझे भी यहां आने से रोका गया, धरना देने के बाद मुझे मुझे यहां आने की इजाजत मिली। ये किसी के बाप का रास्ता है क्या। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पिता जी की संपत्ति है क्या?”
उन्होंने कहा कि यहां मानव राज की जगह दानव राज है। सीएम ने राज्य को तबाह कर दिया है। पुलिस और तृणमूल की मिलीभगत से राज्य को लूटा जा रहा है। बंगाल में जैसे हालात हैं, किसी अन्य राज्य को ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर पश्चिम बंगाल में अनुच्छेद 355 लागू करने का आग्रह किया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार चले। पत्र में उन्होंने चुनाव बाद हिंसा का जिक्र किया था और बीरभूम की ताजा घटना का हवाला देते हुए उन्होंने दावा किया था कि राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है।