बीरभूम नरसंहार पर हाईकोर्ट ने 24 घंटे में बंगाल सरकार से मांगी रिपोर्ट

 

कोलकाता । पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के रामपुरहाट ब्लाक अंतर्गत बगटुई गांव में आगजनी की घटना में कम से कम आठ लोगों की मौत की घटना में कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट तलब की है। मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजश्री भारद्वाज की खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान लेकर मामले में बुधवार दोपहर 2:00 बजे से सुनवाई की। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता सौमेंद्र नाथ मुखर्जी ने पक्ष रखा जिन्हें सुनने के बाद कोर्ट में 24 घंटे के अंदर घटना की रिपोर्ट तलब की है। अनिदय दास नाम के एक अधिवक्ता ने भी इस मामले में जनहित याचिका लगाई है जिसमें उन्होंने एनआईए अथवा सीबीआई से घटना की जांच की मांग की थी।
घटना की केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने का संकेत देते हुए मुख्य न्यायाधीश ने केंद्र सरकार के वकील से पूछा, ”क्या अब आप सबूत जुटाना शुरू कर सकते हैं?” केंद्र के वकील ने जवाब दिया, ”राज्य सरकार ने कुछ सबूत जुटाए हैं। अगर अदालत आदेश देती है, तो केंद्रीय पक्ष आएगा और बाकी जानकारी एकत्र करेगा।”
वहीं, राज्य की ओर से वकील ने कहा कि फोरेंसिक अधिकारियों के आने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन अन्य जांच एजेंसियों को आकर हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। लेकिन वादी ने मांग की कि इस घटना की सीबीआई से जांच कराई जाए।
वकील और भाजपा नेता प्रियंका टिबरेवाल ने बुधवार को विशेष जांच दल या एसआईटी के प्रमुख ज्ञानवंत सिंह की भूमिका पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सिंह को कुछ दिनों पहले मारे गए छात्र नेता अनीस खान की मौत की जांच के लिए भी गठित एसआईटी का प्रमुख बनाया गया था लेकिन उस मामले में कोई प्रगति नहीं है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित रिजवानुर हत्याकांड में भी सिंह कथित तौर पर संलिप्त रहे हैं और उन पर आज भी मुकदमा है। इसलिए उनके नेतृत्व में गठित एसआईटी से न्याय की उम्मीद नहीं की जा सकती। इसके अलावा एसआईटी के एक और सदस्य और पश्चिमांचल रेंज के आईजी संजय सिंह की भूमिका पर भी उन्होंने सवाल खड़ा किया और कहा कि चुनाव आयोग इन्हें हमेशा चुनाव के दौरान पद से हटाता है क्योंकि इनकी प्रतिबद्धता सत्तारूढ़ पार्टी के प्रति अधिक रहती है।

दूसरी ओर, महाधिवक्त ने अदालत को बताया कि मामले में 20 लोगों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले में सीबीआई को पक्षकार बनाया जाएगा। वादी के अधिवक्ता ने कहा कि गोधरा कांड की याद ताजा हो गई। वहां भी ट्रेन में ऐसे ही निर्दोष लोगों को जला दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश ने सभी पक्षों के जवाब सुनने के बाद कहा कि राज्य अगले गुरुवार को केस डायरी लेकर आए। कोई सबूत नहीं मिटने चाहिए। मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि जांच में तेजी लाकर सच्चाई को सामने लाया जाए। राज्य को मौका दिया जाएगा। जांच के साथ केस डायरी की रिपोर्ट कोर्ट में जमा करनी होती है। यह सुनिश्चित करने के लिए घटनास्थल से कोई भी साक्ष्य नहीं मिटाया गया है, सीसीटीवी कैमरे लगाने होंगे। कोर्ट के अगले आदेश के बिना सीसी कैमरा रिकॉर्ड बंद नहीं किया जाना चाहिए। सीसीटीवी की निगरानी जिला अदालत के जज की निगरानी में की जाएगी। फोरेंसिक जांच के लिए सीएफएसएल, दिल्ली को जल्द मौके पर पहुंचकर जानकारी जुटानी है। इसके अलावा, राज्य पुलिस के डीजी और आईजी को गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। उन्हें किसी भी तरह से धमकाया या डराया नहीं जा सकता। कोर्ट ने पूर्व बर्दवान के जिला जज की निगरानी में सुरक्षा के आदेश दिए। सभी मृतकों का पोस्टमॉर्टम वीडियोग्राफी की निगरानी में किया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई गुरुवार दोपहर दो बजे के लिए निर्धारित है।

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