कोलकाता ; राजस्थान परिषद द्वारा स्थानीय ओसवाल भवन सभागार में ७५वां राजस्थान दिवस समारोह मनाया गया। परिषद द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले आयोजन की कङी मे रविवार को हुए इस कार्यक्रम मे प्रख्यात गायिका मारुति मोहता द्वारा संगीतमय प्रस्तुतियां दी गयी।
म्हारो रंग रंगीलो राजस्थान से राजस्थानी गीतो का सिलसिला प्रारम्भ हुआ। तदुपरांत गणगौर, चिरमी, घूूमर, ईमली, घुड़लो घूमे लो.., मोरिया आछो बोल्यो रे.., चमचम चमके चूनङी बिणजारा रे.., घोङी नाच रे.. आदि पारंपरिक गीत सुनाये तो सभागार में ऐसा समा बंधा कि उपस्थित प्रवासी भावविभोर होकर झूमने लगे। लोगों में उत्साह इतना ज्यादा था कि युवाओं के साथ बुजुर्ग एवं महिलायें भी स्टेज के सामने आकर थिरकने लगे। महाकवि कन्हैयालाल जी सेठिया के कालजयी गीत धरती धोरां री.. सुनकर सभी मगन हो गये।
प्रसिद्ध समाजसेवी एवं वरिष्ठ कर सलाहकार मोहन लाल पारीक ने अध्यक्षीय वक्तव्य मे राजस्थान राज्य की स्थापना के बारे मे जानकारी दी। साथ ही उन्होने राजस्थानी के घटते प्रयोग पर चिंता जताते हुए आपसी बातचीत मे तथा घर-परिवार में राजस्थानी भाषा का प्रयोग करने पर जोर दिया।
सुप्रसिद्ध साहित्यकार प्रेमशंकर त्रिपाठी ने कहा कि माटी की महक और संगीत का सम्मोहन मिलकर राजस्थानी गीतों को जो छटा प्रदान करते हैं, वह अविस्मरणीय है। राजस्थान की गौरवशाली भूमि भारत की तेजस्विता का प्रतीक है और इसीलिए सर्वदा वंंदनीय है।
परिषद के महामंत्री अरुण प्रकाश मल्लावत ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि राजस्थान परिषद अपने स्थापना काल से ही राजस्थानी कला, संस्कृति एवं साहित्य के उत्थान एवं प्रचार-प्रसार हेतु प्रयत्नरत है। इनके लिये विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। इस बार होली के माहौल को देखते हुए हमने कुछ अलग करने का सोचा और कार्यक्रम मे लोगों की भागीदारी देखकर लग रहा है कि हमारा प्रयास सफल रहा। उन्होनें अपनी उपस्थिति द्वारा आयोजन को सफल बनाने के लिए सभी का आभार प्रकट किया। संचालन शशि लाहोटी ने किया।
कार्यक्रम की सफलता मे मनोज काकड़ा, भागीरथ सारस्वत एवं सच्चिदानंद पारीक सक्रिय रहे। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न नागरिक परिषदों के पदाधिकारियों एवं महानगर के विशिष्ठ जनों से सभागार भरा था। जिनमे प्रमुख थे महावीर बजाज, बंशीधर शर्मा, रामगोपाल सूंघा, भँवर लाल राठी, नंदकुमार लढा, तरूण सेठिया, पन्नालाल सुराना, राजेश नागोरी, संपत मानधना, प्रदीप सूंठवाल, राजाराम बिहानी, सुरेश बांगानी, महेश मालपानी, किशन बलदुवा, सुरेंद्र चमड़िया, विनीत शर्मा, किशन बरडिया, अनुराग नोपानी, आलोक झुनझुनवाला, सत्यनारायण मोरीजावाला, महेश भुवालका, हरीश तिवाड़ी, प्रकाश बोथरा, महेंद्र पाटनी, श्रीमोहन तिवाड़ी, अनिल ओझा ‘नीरद’, एडवोकेट महेंद्र शर्मा, दशरथ सिंह भंडारी, नारायण भरुका, ओम प्रकाश जोपट, मनोज चंडालिया, श्री मोहन तिवारी, गोविंद जेथलिया, श्याम सुंदर काबरा, बिनोद कुचेरिया, डॉ. कमल किशोर, मुल्तान पारीक, बाबूलाल पारीक, ओंकार पारीक, चंपालाल पारीक, प्रभुदयाल पारीक, नथमल पारीक, महावीर रावत, गुलाब चंद मूंदड़ा, कृष्णा काकड़ा आदि। कार्यक्रम में मातृशक्ति की भी सराहनीय उपस्थिति रही जिनमें श्रीमती दुर्गा व्यास, विजया पारीक, शकुंतला देवी मल्लावत, गायत्री बजाज, भगवती देवी मूंदड़ा एवं प्रियंका सारस्वत प्रमुख रही।