ममता ने केंद्रीय सचिव को लिखा पत्र, कहा- संविधान की अवधारणा से छेड़छाड़ मत करिए

कोलकाता, 11 जनवरी (हि.स.)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को ”एक राष्ट्र, एक चुनाव” पर उच्च स्तरीय समिति के सचिव नितेन चंद्रा को पत्र लिखकर प्रस्तावित प्रणाली पर अपनी आपत्तियां उजागर कीं। मुख्यमंत्री के बजाय तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में लिखे पत्र में उन्होंने तर्क दिया कि संविधान एक संघीय तरीके से भारतीय राष्ट्र की कल्पना करता है जिसके परिणामस्वरूप एक केंद्र सरकार और कई राज्य सरकारों के समानांतर अस्तित्व की व्यवस्था होती है। उस अवधारणा से छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। पत्र की एक प्रति हिन्दुस्थान समाचार के पास उपलब्ध है।

इसमें उन्होंने लिखा, यदि भारतीय संविधान के निर्माताओं ने ”एक राष्ट्र, एक चुनाव” की अवधारणा का उल्लेख नहीं किया है, तो आप ”एक राष्ट्र, एक चुनाव” की अवधारणा पर कैसे पहुंचे? जब तक इस मूल पहेली को हल नहीं किया जाता, तब तक इस किसी भी दृढ़ विचार तक पहुंचना मुश्किल है।“

पत्र में, तृणमूल प्रमुख ने उस स्थिति का मुद्दा भी उठाया जहां लोकसभा असामयिक रूप से भंग हो जाती है, जबकि राज्य विधानसभाएं अप्रभावित रहती हैं। उन्होंने पूछा, केंद्र में सरकार की अस्थिरता और संसद पर परिणामी प्रभाव से राज्य विधानसभाओं को अस्थिर नहीं किया जाना चाहिए। आपकी सम्मानित समिति इन सवालों को कैसे हल करने का प्रस्ताव करती है? उनके अनुसार, ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार एक ऐसा ढांचा थोपने का प्रयास कर रही है जो भारतीय संविधान में निर्धारित वास्तविक लोकतांत्रिक और संघीय ढांचे की भावना के खिलाफ है।

उन्होंने लिखा कि हम समिति की सबसे गैर-प्रतिनिधित्व संरचना पर आपत्ति जताते हैं और बताते हैं कि व्यावहारिक आपत्तियां प्राप्त होने के डर से किसी भी मुख्यमंत्री को इसमें शामिल नहीं किया गया है।

बनर्जी ने यह भी कहा कि उन्हें संदेह है कि क्या उच्च स्तरीय समिति मामले के दोषों का विश्लेषण करने में गंभीरता से रुचि रखती भी है। उन्होंने कहा, संसदीय चुनाव और राज्य विधानसभा चुनाव प्रकृति में काफी भिन्न हैं।

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