लाखों लोगों को 75 साल बाद भी नहीं मिल रहे उनके मानवाधिकार,हो रहा हनन:संजय सिन्हा

नई दिल्ली ( एजेंसियां): ‘ मानव अधिकार वह अधिकार है जो मानव में मानव होने के नाते अन्तर्निहित है और एक मानव के व्यक्तित्व के पूर्ण विकास एवं गरिमामय जीवन के लिए आवश्यक है। मानवधिकार वेे न्यूनतम अधिकार हैं, जो प्रत्येक व्यक्ति को आवश्यक रूप से प्राप्त होने चाहिए, क्योंकि वह मानव परिवार का सदस्य है। ‘ ये कहना है इंटरनेशनल इक्विटेबल ह्यूमन राइट्स सोशल काउंसिल के चेयरमैन संजय सिन्हा का। मीडिया से बातचीत के क्रम में उन्होंने बताया कि ‘ मानव अधिकार का प्रयोग सर्वप्रथम अमरीकन राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने 16 जनवरी 1941 में काग्रेंस के संबोधन में किया था। मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 2 (घ) के अनुसार ‘मानव अधिकार’ से जीवन, स्वतंत्रता, समानता और व्यक्ति की गरिमा से संबंधित ऐसे अधिकार जुड़े हुए हैं, जो संविधान की ओर से प्रत्याभूत किए गए हैं या अन्तरराष्ट्रीय प्रसंविदाओं से सन्निविष्ट और भारत में न्यायालयों की ओर से प्रर्वतनीय है। ‘बातचीत के क्रम में श्री सिन्हा ने आगे जानकारी देते हुए कहा कि ‘ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार संरक्षण का उदय 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना से शुरू हुआ तथा इस कड़ी में महत्वपूर्ण प्रयास संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा 10 दिसम्बर 1948 को मानवाधिकार की सार्वभौमिक घोषणा (यूडीएचआर) से प्रारम्भ हुआ, इसलिए 10 दिसम्बर को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार के रूप में मनाया जाता है। हालांकि मानवाधिकार दिवस लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए मनाया जाता है, लेकिन आज 75 साल बाद भी यह दिन इस लिहाज से प्रासंगिक प्रतीत होता है कि लाखों की संख्या में लोगों को उनके मानवाधिकार नहीं मिल रहे हैं। अशिक्षित क्षेत्रों में इनका हनन जारी है। आज हमारे बीच कई ऐसे लोग मिल जाएंगे, जो न्याय के लिए वर्षों से भटक रहे हैं तो जेलों में बंद कैदियों की अमानवीय दशा, भ्रष्टाचार, महिलाओं का शोषण एवं उत्पीडऩ मानवाधिकारों पर प्रश्न चिह्न खड़े कर रहे हैं।श्री सिन्हा ने कहा कि, ‘इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अपनी स्थापना के बाद से पिछले 30 वर्षों में मानवाधिकार आयोग ने 22.48 लाख से अधिक मामले दर्ज किए हैं, जिनमें 22.41 लाख से अधिक मामलों का निपटारा किया और मानव अधिकार उल्लंघन के पीडि़तों को राहत के रूप में 230 करोड़ रुपए से अधिक के भुगतान की सिफारिश की। आयोग की रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक वर्ष के दौरान एक दिसम्बर, 2022 से 30 नवम्बर, 2023 तक आयोग ने 80,376 मामले दर्ज किए, जिनमें स्वत: संज्ञान के 117 मामले शामिल हैं। ‘

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