कोलकाता, 30 जनवरी: पश्चिम बंगाल में राज्यपाल और ममता सरकार के बीच लंबे समय से चला आ रही गतिरोध वक्त-वक्त पर मीडिया के सामने आता रहता है। हाल ही में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने आरोप लगाया कि सरकारी अधिकारी कानून के मुताबिक कार्य नहीं करते हैं।
इसी के साथ दावा किया कि मुख्य सचिव उनके फोन का जवाब नहीं देते। इसके बाद फिर से बंगाल में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी हो गया।
वहीं फिर से राज्यपाल ने रविवार को कहा कि मैंने सीएम ममता बनर्जी से अपील की है कि बातचीत से ही लोकतंत्र टिका है। हमें लोकतंत्र को हिंसा से बचाना है। सीएम का संवैधानिक कर्तव्य राज्यपाल को जानकारी देना है, लेकिन जब से मैं राज्यपाल बना हूं तब से यह नहीं किया गया है।
अपने बयान में राज्यपाल ने आगे कहा कि लोकतंत्र किसी व्यक्ति के शासन पर नहीं, बल्कि कानून के शासन से चलता है। मुझे उम्मीद है कि वह (पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी) इस पर गौर करेंगी। संविधान द्वारा उन्हें राज्यपाल के साथ बातचीत के लिए बैठना अनिवार्य है। इधर, राज्य सरकार और राज्यपाल में जारी टकराव के बीच खबर है कि तृणमूल कांग्रेस ने जगदीप धनखड़ के खिलाफ प्रस्ताव लाने का फैसला किया है। गुरुवार को पार्टी ने फैसला किया कि वो राज्यपाल के खिलाफ राज्यसभा में प्रस्ताव लाएगी। बताया गया है कि सीएम ममता बनर्जी की अध्यक्षता में इस पर निर्णय लिया गया है।
आपको बता दें कि 30 जुलाई 2019 को जगदीप धनखड़ ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल का पद संभाला था, इसके बाद से ही लगातार टकराव की खबरें आना शुरू हो गई। कई मौकों पर जहां राज्यपाल ने सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाए तो टीएमसी नेताओं ने भी सार्वजनिक मंच से राज्यपाल को बीजेपी का एजेंट तक बताया है।