आसनसोल। ब्रह्मविद्या विहंगम योग संस्थान द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम के अंतिम दिन रविवार को 551 कुंडीय विश्व शांति वैदिक महायज्ञ सद्गुरु आचार्य श्री स्वतंत्र देव जी महाराज एवं संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज के सानिध्य में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। कार्यक्रम में सर्वप्रथम रविवार की सुबह ‘अ’ अंकित से ध्वजा संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज द्वारा फहराया गया। इसके पश्चात संत प्रवर जी ने यज्ञ की महत्ता के विषय में शिष्यों को बतायाा। इसके पश्चात संत प्रवर तथा संस्थान के विद्वान पुरोहितों ने मंत्रोच्चारण के साथ 551 कुंडीय विश्व शांति महायज्ञ संपन्न कराया यज्ञ में 551 यजमानों ने अग्नि कुंड में आहुति दी। हवन यज्ञ के बाद हजारों की संख्या में लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। संध्या में विहंगम योग के क्रियात्मक ज्ञान की दीक्षा संस्थान के अंतर्राष्ट्रीय संत श्री किशनलाल शर्मा जी द्वारा दी गई जिसमें सैकड़ों की संख्या में जिज्ञासुओं ने दीक्षा ली। संध्या 5:00 बजे से मंचीय कार्यक्रम आरंभ हुआ। मंचीय कार्यक्रम में संस्थान के भजन गायकों ने सुमधुर भजन प्रस्तुत किए तथा विद्वानों ने प्रवचन किया।
कार्यक्रम में बिहार, झारखंड, कोलकाता सहित पश्चिम बंगाल के कोने-कोने से शिष्य पहुंचे। इस दौरान सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस के जवान मौजूद थे। कार्यक्रम में आसनसोल नगर निगम के मेयर विधान उपाध्याय, एमएमआईसी सुब्रत अधिकारी, बोरो चेयरमैन शेख शानदार कार्यक्रम के दौरान आश्रम परिसर तथा प्रवचन पंडाल को भव्य रूप से सजाया गया था। इस दौरान संत प्रवर विज्ञान देव जी महाराज संवाददाताओं से भी रूबरू हुए। इस दौरान उन्होंने यज्ञ के विषय में कहा कि यज्ञ हमारे भारतीय संस्कृति का प्राण है। वैदिक धर्म का सार है। हमारी भारतीय संस्कृति अत्यंत समृद्ध है इसने हमें अध्यात्म को सहज रूप से प्रदान किया है। जन-जन में प्रेम, मैत्रीय तथा करुणा का भाव हो हमारे दुख दर्द नष्ट इसी कामना के साथ अपनी भौतिक एवं अध्यात्मिक विकास के लिए आज हजारों दंपतियों ने अपने आध्यात्मिक एवं भौतिक विकास के लिए यज्ञ कुंड में आहुति दी। उन्होंने विहंगम योग के क्रियात्मक ज्ञान के विषय में कहा कि विहंगम के क्रियात्मक साधना करने से मानव का मन नियंत्रित एवं संयमित होता है। आज मन पर नियंत्रण नहीं होने से राष्ट्र में विसंगतियां हैं। मन पर नियंत्रण नहीं होने से ही वाद विवाद हिंसा की प्रवृत्ति बढ़ रही है। सुख और शांति का अनुभव हम तभी कर सकते हैं जब हम स्वस्थ मन से उचित निर्णय ले सकें। हमारी विहंगम योग की साधना पंच कोटियों में विभक्त है। हम साधना के द्वारा योग के द्वारा सत्संग के द्वारा सेवा भावना के द्वारा हम अपने भारतीय संस्कृति का जन-जन में मन मन में स्टार कर सके इसी उद्देश्य से यह समारोह आयोजित हुआ है। देश की सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी में विश्व का सबसे बड़ा साधना स्थल सर्वेद महामंदिर धाम बन रहा है। जहां एक साथ 20 हजार साधक साधना कर सकेंगे। इसके निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए आज हमलोगों ने आसनसोल में फिर से संकल्प की पूर्णावृति की। आगामी 17 एवं 18 दिसंबर को वाराणसी के स्वर्वेद महामंदिर धाम प्रांगण में 25 हजार कुंडीय महान यज्ञ का आयोजन होने जा रहा है। जिसका आज संकल्प लिया गया।
संध्या में संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज द्वारा दिव्य वाणी हुई जिसमें महर्षि सद्गुरु सदाफल देव जी महाराज द्वारा रचित स्वर्वेद महाग्रंथ का संगीतीय पाठ हुआ। संत प्रवर ने स्वर्वेद महा ग्रंथ के आधार पर सर अमित कथा अमृत सुनाया। रात्रि में सद्गुरु आचार्य श्री स्वतंत्र देव जी महाराज की अमृतवाणी हुई।
कार्यक्रम के दौरान श्रीपुर फांडी पुलिस व्यवस्था की खुली पोल
कार्यक्रम में श्रीपुर फांडी पुलिस की सुरक्षा रहने के बावजूद चोर उचक्के ने भीड़ का फायदा उठाते हुए कई महिलाओं के गले से सोने का चैन खींच गया। जिससे श्रीपुर फाड़ी पुलिस की व्यवस्था की पोल खुल गई। कई लोगों के जूता चप्पल भी चोरी हुई है। कई लोगों के साथ गले से चेन खींचने की कोशिश की गई। हवन यज्ञ के बाद आश्रम परिसर में काफी भीड़ जुटी। जिसका चोरों ने फायदा उठायाा। वहीं कई शिष्यों का कहना था कि पुलिस रहते हुए सक्रिय नहीं थी। जिसकी वजह से चोरों का मनोबल बढ़ा एवं महिलाओं के गले से चैन खींचा था।
