सिउड़ी, 20 मार्च । विश्वभारती विश्वविद्यालय और अमर्त्य सेन के बीच जमीन को लेकर चल रहे विवाद पर जिला प्रशासन ने विराम लगा दिया है। जिलाधिकारी विधान राय ने सोमवार को बताया कि पिता आशुतोष सेन के नाम से जमीन का म्यूटेशन नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के नाम कर दिया गया है। नतीजतन, निष्कासन नोटिस वस्तुतः अर्थहीन हो गया है। सूत्रों के मुताबिक यह म्यूटेशन विश्वभारती को बिना बताए ही कर दिया गया है।
उस जमीन को लेकर विवाद काफी पुराना है। कुछ दिन पहले जब अर्थशास्त्री शांतिनिकेतन में थे, तब विश्वभारती के अधिकारियों ने उन्हें एक पत्र भेजा था। उसमें कहा गया कि विश्वविद्यालय को 13 डिसमिल जमीन जल्द से जल्द लौटाई जाए। इस नोटिस को लेकर विवाद खड़ा हो गया। अमर्त्य सेन ने बताया कि उस घर की जमीन का एक हिस्सा विश्वभारती से लीज पर लिया गया है और कुछ जमीन खरीदी गई है। विश्वभारती के अधिकारी झूठ बोल रहे हैं।
इस पूरे विवाद के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अमर्त्य सेन से शांतिनिकेतन में मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने भूमि मूल्यांकन से संबंधित दस्तावेज अर्थशास्त्री को सौंपे। ममता खुद बीएलआरओ दफ्तर गईं। इसके बाद ममता ने विश्वभारती के कुलपति को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि लोगों का इस तरह अपमान नहीं किया जा सकता। उन्होंने कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी।
इसके बावजूद विश्वभारती ने नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को बेदखली का नोटिस जारी किया है। एक पत्र 19 मार्च को अमर्त्य के शांतिनिकेतन के पते पर पहुंचा। प्रातीची के पते पर भेजे गए पत्र में अमर्त्य या उनके किसी प्रतिनिधि को 29 मार्च को विश्वभारती के सेंट्रल एडमिशन बिल्डिंग के कॉन्फ्रेंस हॉल में उपस्थित रहने के लिए कहा गया था। जहां उस ”विवादित” जमीन पर सुनवाई होनी थी। लेकिन उससे पहले ही जिला प्रशासन की ओर से विवादित जमीन का म्यूटेशन अमर्त्य सेन के नाम कर दिया गया। ऐसे में अब यह देखने वाली बात होगी कि विश्वभारती विश्वविद्यालय की ओर से क्या कार्रवाई की जाती है।