ममता ने जी-20 की बैठक में कहा : बंगाल उत्तर पूर्वी एशियाई देशों का प्रवेश द्वार

 

कोलकाता, 9 जनवरी । भारत की अध्यक्षता में होने वाली जी-20 सम्मेलन की कोलकाता में आयोजित हुई पहली बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को शिरकत की है। उन्होंने पश्चिम बंगाल की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा है कि भारत को जी-20 सम्मेलन की अध्यक्षता की जिम्मेवारी मिलना पूरे देश के लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल उत्तर पूर्वी और पूर्वी देशों के लिए गेटवे है। बर्मा, भूटान, बांग्लादेश, नेपाल जैसे देशों का कारोबार पश्चिम बंगाल के जरिए ही भारत के साथ होता है। उन्होंने कहा कि उसमें सोने पर सुहागा यह है कि कोलकाता देश की सांस्कृतिक राजधानी है। वित्तीय समावेश के लिए आयोजित हुई वैश्विक भागीदारी (जीपीएसआई) की इस बैठक में संबोधन करते हुए ममता ने कहा कि कोलकाता में सभी का स्वागत है। मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे यह ऑप्शन मिला कि कोलकाता में इस बैठक की मेजबानी कर रही हूं। कुछ दिनों पहले इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल आयोजित हुआ था। उसने विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। मेरी नजर में पूरी दुनिया एक खूबसूरत परिवार की तरह है। इस बैठक का मुख्य मकसद आर्थिक सशक्तिकरण है। भारत को इस बैठक की अध्यक्षता मिलना दुनिया भर में अनेकता में एकता का संदेश देने वाला है। यहां विभिन्न जातियों भाषाओं समुदायों के लोग मिल जुल कर रहते हैं।
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में वाम दलों ने 34 सालों तक शासन किया लेकिन विकास कहीं नहीं था। अब अर्थव्यवस्था, इंफ्रास्ट्रक्चर सब कुछ बदल रहा है। मैंने विकास के हर पहलू पर फोकस किया है। यहां गरीबी पिछले 12 सालों में 40 फीसदी कम हुई है। रोजगार बढ़ा है। मैंने मुफ्त भोजन, शिक्षा, चिकित्सा की व्यवस्था की। हिंदू हो या मुसलमान, सभी के लिए समान व्यवस्थाएं हैं। इसकी वजह से पश्चिम बंगाल को विभिन्न स्तरों पर केंद्र से पुरस्कार भी मिल चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र से लेकर राष्ट्रपति पुरस्कार मिला है। यहां 15 लाख लोग स्वयं सहायता समूहों से जुड़े हैं जो आत्मनिर्भर राज्य और उसके जरिए आत्मनिर्भर देश के मकसद को पूरा करने में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि बंगाल जैसी खूबसूरत जगह दुनिया में और कोई नहीं है। बैठक में ममता बनर्जी के साथ 12 देशों के अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं ने हिस्सा लिया था। जिसमें विश्व बैंक, सिंगापुर, फ्रांस, इस्टोनिया के मौद्रिक प्राधिकरण के पदाधिकारी भी शामिल थे।

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