कोलकाता, 9 अक्टूबर बड़ा बाजार कुमार सभा पुस्तकालय की ओर से कर्मयोगी जुगल किशोर जैथलिया के स्मरण में आयोजित व्याख्यानमाला में “आजादी के अमृत महोत्सव पर भविष्य की चुनौतियों” को रेखांकित करते हुए प्रखर वक्ता तरुण विजय ने कहा कि आज देश में जातिवाद को खत्म करना ही राष्ट्र की अखंडता और एकता के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। बड़ा बाजार के रथिंद्र मंच में आयोजित कार्यक्रम में संबोधन करते हुए उन्होंने कहा कि सैकड़ों सालों पहले मुस्लिम आक्रांताओं ने भारत के एक कोने से दूसरे कोने तक घूम घूम कर टुकड़ों में बंटे हिंदू राजाओं को परास्त किया, बंदी बनाया, मौत के घाट उतारा, धर्मांतरण किया और पूरे देश को मजहबी आग में झोंक दिया। तब भी हिंदू बंटा हुआ था और आज भी बंटा हुआ है। संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बैरिस्टर होने के बावजूद बाबा साहब को हर जगह नीची जाति का बता कर छुआछूत का सामना करना पड़ा जिसकी वजह से उन्होंने तंग होकर बौद्ध मत अपना लिया। हालांकि वह इसाई या मुस्लिम नहीं बने। आज फिर अगर हमारे समाज में गंदगी साफ करने का काम केवल एक समुदाय को दिया जाए और उससे छुआछूत रखी जाए तो तब के भारत और आज आजादी के बाद 75 वें वर्ष में जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तब में कोई अंतर नहीं है।
उन्होंने कहा कि चुनौतियों का सामना डटकर सैनिक की भाँति करना होगा। पूर्वजों की स्मृति को अक्षुण्ण रखना हमारा धर्म है। स्मृतिहीन समाज का न तो वर्तमान होता है और न ही भविष्य। हमें पराजय का नहीं, अपितु अपने गौरव और विजय का इतिहास चाहिये। आज जो शक्तियाँ ज्यादा उद्वेलित व मुखर नजर आ रही हैं उनके नकारात्मक विचार उनके हृदय की आतुरता और विलाप हैं। आजादी का अमृत महोत्सव नवीन भारत का उदय है। राष्ट्रभक्ति के साभारत शीघ्र ही नवीन स्वर्णिम भाग्योदय देखेगा। कोई समझौता नहीं किया जा सकता और कर्मयोगी जैथलिया जी का स्मरण अपनी अस्मिता का स्मरण है।’
प्रबुद्ध चिन्तक व पांचजन्य के पूर्व संपादक तरुण विजय ने कहां की देश के वर्तमान मजबूत नेतृत्व में नए भारत का सृजन हो रहा है और इसमें शौर्य पूर्ण भागीदारी हर भारतीय का कर्तव्य है।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे वनबन्धु परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश सरावगी ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में जुगल जी के कर्ममय जीवन का स्मरण करते हुए कहा कि उन्होंने असंख्य कर्मठ कार्यकर्ताओं का निर्माण किया।
समारोह के मुख्य अतिथि तथा रवीन्द्र भारती सोसाइटी के महासचिव सिद्धार्थ मुखोपाध्याय ने गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर की ‘लाइब्रेरी’ कविता का उल्लेख करते हुए आयोजन पर हर्ष व्यक्त किया।
समारोह का प्रारंभ रवीन्द्र भारती सोसाइटी की सदस्याओं के उद्बोधन गीत से हुआ। अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया रामचन्द्र अग्रवाल, अजय चौबे व सत्यप्रकाश राय ने। मंच पर अन्य उपस्थित थे अर्थमंत्री अरुण मल्लावत व साहित्यमंत्री योगेशराज उपाध्याय। स्वागत भाषण किया पुस्तकालय के मंत्री बंशीधर शर्मा ने तथा धन्यवाद ज्ञापन किया उपाध्यक्ष भागीरथ चांडक ने। कार्यक्रम का कुशल संचालन किया पुस्तकालय के अध्यक्ष महावीर बजाज ने।
समारोह में शंकरलाल अग्रवाल, रामगोपाल सूंघा, महावीर प्रसाद रावत, भंवरलाल मूंधड़ा, भागीरथ कांकाणी, अनिल ओझा नीरद, शार्दूलसिंह जैन, उमेश राय, विजय ओझा, इश्वरी प्रसाद टांटिया, दुर्गा व्यास, संजय बिनानी, मुकुन्द राठी, रामानन्द रुस्तगी, सुशील राय, डॉ. ऋषिकेश राय, डॉ. रामप्रवेश रजक, जसवंत सिंह, आनन्द पाण्डेय, शंकरबक्स सिंह, राजकुमार व्यास, महेश मोदी, मुल्तान पारीक, चंपालाल पारीक, सागरमल गुप्त, अजयेन्द्रनाथ त्रिवेदी, रमेश सोनकर, ब्रह्मानंद बंग, सत्यनारायण मोरीजावाला, राजीव शरण, स्नेहलता बैद, तारकदत्त सिंह, दयाशंकर मिश्र, प्रदीप सूंटवाल, सीताराम तिवारी, रविप्रताप सिंह, बुलाकीदास मीमाणी, हरिराम अग्रवाल, एवं श्रीराम सोनी प्रभृति विभिन्न क्षेत्रों से अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।
कार्यक्रम को सफल बनाने में नन्दकुमार लढ़ा, मनोज काकड़ा, राजाराम बिहानी, गोविन्द जैथलिया, श्रीमोहन तिवारी, रमाकान्त सिन्हा, बृजेन्द्र पटेल प्रभृति सक्रिय थे।