कोलकाता मेट्रो परियोजना पर तृणमूल और भाजपा एकजुट, पुनः शुरू करने की मांग

मेट्रो परियोजना पर तृणमूल और भाजपा एकजुट

कोलकाता, 23 दिसंबर । पश्चिम बंगाल में कोलकाता मेट्रो की नई परियोजना को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गई हैं। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पिछले सप्ताह संसद में जानकारी दी थी कि न्यू गरिया से बारुइपुर के बीच प्रस्तावित मेट्रो लाइन परियोजना को रोक दिया गया है। इसके बाद तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों ने इस परियोजना को पुनः शुरू करने की मांग की है।

राज्यसभा सांसद और भाजपा नेता समिक भट्टाचार्य के सवाल के जवाब में रेल मंत्री वैष्णव ने बताया कि न्यू गरिया-बारुइपुर मेट्रो लाइन के लिए सर्वे किया गया था, लेकिन कम यात्री संख्या की संभावना के चलते परियोजना को आगे नहीं बढ़ाया गया।

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तृणमूल का भाजपा पर हमला

जादवपुर की सांसद सायनी घोष ने इस मुद्दे को संसद में उठाते हुए भाजपा पर केवल अपने हित साधने का आरोप लगाया। घोष ने कहा कि हमने कवि सुभाष (न्यू गरिया) से बारुइपुर तक मेट्रो विस्तार की मांग की थी, लेकिन रेलवे विभाग ने पत्र के माध्यम से इसे आर्थिक रूप से अव्यावहारिक बताया। अगर हर चीज से मुनाफा कमाना ही मकसद है, तो जनता आपको क्यों चुनेगी ?

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स्थानीय नेताओं का पक्ष

पश्चिम बंगाल विधानसभा के अध्यक्ष और स्थानीय विधायक बिमान बनर्जी ने रेल मंत्री द्वारा पेश की गई सर्वे रिपोर्ट को पुराना बताया और कहा कि अब क्षेत्र की जनसंख्या बढ़ चुकी है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना आज के समय में पूरी तरह व्यावहारिक है। बारुइपुर नगरपालिका जल्द ही इस परियोजना को पुनः शुरू करने की मांग के लिए प्रस्ताव पारित करेगी। मैं व्यक्तिगत रूप से नई जानकारी के साथ रिपोर्ट तैयार कर केंद्र को सौंपूंगा।

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भाजपा का जवाब

भाजपा सांसद समिक भट्टाचार्य, जिन्होंने संसद में यह मुद्दा उठाया था, ने कहा कि वह रेल मंत्री से मिलकर इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग करेंगे। भट्टाचार्य ने कहा, मंत्री ने यह नहीं कहा कि परियोजना रद्द हो गई है। मैं इसे फिर से शुरू करने के लिए व्यक्तिगत रूप से अनुरोध करूंगा।

भट्टाचार्य ने तृणमूल की आलोचना करते हुए कहा कि राज्य सरकार की निष्क्रियता के कारण कोलकाता में अन्य पांच मेट्रो परियोजनाओं में भी देरी हो रही है। उन्होंने बताया कि इन परियोजनाओं में ट्रैफिक डायवर्जन, भूमि अधिग्रहण और अतिक्रमण जैसी समस्याएं हैं।

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भूमि अधिग्रहण बना रोड़ा

रेल मंत्री ने संसद में यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल में राज्य सरकार की ओर से भूमि अधिग्रहण में देरी के चलते 43 अन्य रेलवे परियोजनाएं भी प्रभावित हो रही हैं। इन परियोजनाओं के लिए आवश्यक 3,040 हेक्टेयर भूमि में से अब तक केवल 640 हेक्टेयर (21 प्रतिशत) भूमि अधिग्रहित हो पाई है।

 

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