गायत्री शक्तिपीठ श्रीमद प्रज्ञापुराण कथा श्रोताओं का आयोजन

बराकर । बराकर शहर के वार्ड नंबर 68 स्थित गायत्री शक्तिपीठ में 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ एवं संस्कार महोत्सव को लेकर बीते देर शाम शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे टोली नायक संदीप पाण्डेय ने श्रीमद प्रज्ञापुराण कथा श्रोताओं को सुनाया । इसके पूर्व टोली के सभी सदस्यो का स्वागत मंदिर कमिटी की ओर से किया गया । टोली नायक संदीप पांडे ने श्रीमद् प्रज्ञा पुराण के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि प्रज्ञा पुराण में कुल चार खंड है और सभी खंड में सात अध्याय है । उन्होंने कथा को आगे बढ़ते हुए कहा कि सद्गुणों को जीवन में उतरने से मनुष्य को सत्संग का परम सुख प्राप्त होता है । उन्होंने कहा कि मनुष्य का सबसे बड़ा ज्ञान यह है कि वह अपने अंदर के अज्ञान कमी और बुराइयों को भली भांति पहचान ले । उन्होंने कहा कि ईश्वर से मिलने का सबसे सुगम मार्ग यह है कि मनुष्य अपनी सभी बुराइयों को छोड़ दें । सभी बुराइयों के नष्ट होने के बाद मनुष्य का स्वतः ही ईश्वर से मिलन हो जाता है और ईश्वर से मिलने के पश्चात मनुष्य के सभी प्रकार के दुखों का निवारण हो जाता है और सदा के लिए दुख दूर हो जाते हैं । उन्होंने कहा कि सत्संग में लोग आते हैं और चले जाते हैं । परंतु सत्संग में आकर प्रत्येक मनुष्य को सत्संग के अच्छे विचारों को ग्रहण करना चाहिए । उन्होंने बताया कि जिस तरह कल्पवृक्ष के पास बैठने से गरीबी से मुक्ति मिलती है इस तरह सत्संग ज्ञान का सरोवर है सुखों की खान है ।उन्होंने भक्त वत्सल साबरी का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि शबरी सच्चे मन से सत्संग किया करती थी । जिसके घर तक चलकर भगवान श्री राम आए और उन्हें अपना दर्शन देकर कीर्तार्थ किया । उन्होंने भक्त वत्सल साबरी का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि शबरी सच्चे मन से सत्संग किया करती थी । जिसके घर तक चलकर भगवान श्री राम आए और उन्हें अपना दर्शन दिया ।इसके पश्चात गुरुवार को 24 कुंडिय महायज्ञ का शुभारंभ किया गया । जिसमें सभी कुंडो पर पति-पत्नी की जोड़ी मुख्य यजमान के रूप में विद्यमान थे । इसके अलावा अन्य लाभार्थियों ने भी यज्ञ हवन कर अनुष्ठान का लाभ प्राप्त किया ।

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