
कोलकाता । करपात्री जी फाउंडेशन के स्वामी त्र्यंबकेश्वर चैतन्य जी महाराज ने गोविन्द भवन, कोलकाता में धार्मिक सत्संग में श्रद्धालु भक्तों को मर्यादित जीवन जीने की प्रेरणा दी । स्वामी चैतन्य महाराज ने कहा पिता दशरथ के वचन के पालन हेतु श्रीराम ने अयोध्या का राजपाट त्याग दिया । सीता के सम्मान की रक्षा के लिये रावण से युद्ध किया । श्रीराम मर्यादा के प्रतीक हैं । धर्म का पालन करना पुत्र का कर्तव्य है । स्वामी चैतन्य महाराज ने भक्तों का मार्गदर्शन करते हुए कहा वैदिक, सनातन परम्परा की रक्षा करने के उद्देश्य से बच्चों, युवा पीढ़ी को संस्कारित करना माता – पिता का कर्तव्य है । जीवन का लक्ष्य आपको दिशा देता है । स्वामी चैतन्य महाराज ने कहा मन चंचल होता है, सांसारिक – भौतिक सुख की चाहत में भटकता रहता है । चंचल मन तूफानी समुद्र में बिना पतवार की नाव के समान है, जहाँ भटक जाना आसान है, लेकिन लक्ष्य जीवन में रोडमैप की तरह काम करता है जो हमें फोकस करने, बेहतर निर्णय लेने में मदद करता है, जिससे आत्मविश्वास बढ़ता है । आत्मीय सुख क्षणिक, भौतिक सुख से अलग होता है, यह परम आनंद, सच्चिदानंद है । समाजसेवी केशोराम अग्रवाल, धर्मानुरागी पण्डित लक्ष्मीकांत तिवारी, परीक्षित अग्रवाल, गौरांग अग्रवाल, बंशीलाल मोहता, ब्रह्मचारी प्रणवानंद चैतन्य महाराज, आचार्य सागर महाराज, आचार्य आदर्श महाराज, शास्त्री विश्वजीत शर्मा एवम् श्रद्धालु भक्त उपस्थित थे ।
