कोलकाता,08 सितम्बर। देश-विदेश की स्वनामधन्य संस्था ‘हिन्दी साहित्य परिषद ‘के तत्वावधान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय शुक्ल ने अपने संबोधन में कहा कि हमारी हिन्दी आज सिर्फ देश की भाषा नहीं रही, बल्कि पूरी दुनिया में फैल चुकी है। हिन्दी के लिए सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह बिना किसी सत्ता के संरक्षण के जनभाषा के रूप में आगे बढ़ रही है। उन्होंने यह बातें राजस्थान सूचना केन्द्र के सभागार में कही। उपस्थित सभी रचनाकारों ने हिन्दी दिवस को केन्द्र में रखकर अपनी रचनाएं सुनाई उनमें अजय कुमार झा ‘तिरहुतिया ‘,कमल पुरोहित ‘अपरिचित ‘,रामपुकार सिंह ‘पुकार गाजीपुरी ‘,जीवन सिंह, शहनाज रहमत, मोहम्मद अय्यूब वारसी ‘कोलकतवी ‘,ओमप्रकाश चौबे, श्रद्धा टिबडेवाल, सहर मजिदी, समीर पासवान, रंजना झा, आरती भारती, चन्द्रिका प्रसाद पाण्डेय ‘अनुरागी’,डाॅ राजन शर्मा, विजय शर्मा ‘विद्रोही ‘,सेराज खान ‘बातिश ‘,रामनारायण झा ‘देहाती ‘,वी अरूणा, विजय इससर ‘वत्स ‘,जतिब हयाल, मंजू तिलक, बंदना पाठक, रूपम महतो, महेन्द्र नाथ मिश्र, शकील अनवर, मोहम्मद नशरूलाह आदि रचनाकारों ने रचनाएँ सुनाकर हिन्दी दिवस को सार्थक बना दिया। समारोह की अध्यक्षता जाने माने कवि जय कुमार ‘रूसवा ‘,मुख्य अतिथि डाॅ कुॅवर वीर सिंह ‘मार्तण्ड ‘,विशिष्ट अतिथि दया शंकर मिश्र, रणजीत भारती, नन्दलाल सेठ ‘रौशन ‘ने मंच की शोभा बढ़ायी। कार्यक्रम का प्रभाव शाली संचालन प्रदीप कुमार धानुक व धन्यवाद ज्ञापन संयोजक नन्दू बिहारी ने किया।