कोलकाता । भागवताचार्य स्वामी त्रिभुवनपुरी महाराज ने श्रद्धालु भक्तों का मार्गदर्शन करते हुए अपने आशीर्वचन में कहा पितृपक्ष ऐसा समय है जब हम अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट कर सकते हैं, यह केवल धार्मिक कर्म नहीं, बल्कि पारिवारिक सुख-शांति का मार्ग भी है । आत्मा का न कभी जन्म होता है और न ही मृत्यु । आत्मा शाश्वत है । पितृ पक्ष के अनुष्ठान आत्मा को जीवन-मरण के दुष्चक्र से मुक्त करते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है । पितृ पक्ष की अवधि में अपने पूर्वजों की शांति और मुक्ति के लिए पिंडदान कर सकते हैं और भगवान से प्रार्थना कर सकते हैं । यह पितृ दोषों को दूर करने में सहायक है । पितृ पक्ष में श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने से पितरों की आत्मा की शांति, मुक्ति और तृप्ति के लिए प्रार्थना की जा सकती है । भागवताचार्य स्वामी त्रिभुवनपुरी महाराज के सानिध्य में श्रीमद्भागवत कथा सेठ बंशीधर जालान स्मृति मन्दिर, हावड़ा में 7 से 13 सितम्बर तक होगी । संदीप पोद्दार, धीरेन अग्रवाल, अनूप तोदी, विनोद सुरेका, विजय सिंह, दीपक गुप्ता, राजेश डालमिया, राकेश ओझा, रितेश केजरीवाल, राकेश सिंघानिया, मनोज अग्रवाल, दिलीप कानोड़िया, दीपक नोपानी, अरुण गोयल, पंचानंद ओझा, संजय बुराकिया, राजू खरकिया एवम् श्रद्धालु भक्त सक्रिय हैं ।