आसनसोल। आसनसोल नगर निगम के वार्ड संख्या के 56 स्थित छिन्नमस्ता इलाके में एक स्थानीय पोखर (तालाब) की बांध अचानक टूट जाने से भारी अफरा-तफरी मच गई। देखते ही देखते पोखर का पानी रिहायशी इलाकों में घुस गया, जिससे करीब 80 घर जलमग्न हो गए और इलाके की सड़कें कमर तक पानी में डूब गईं। पानी इतनी तेजी से फैला कि लोग कुछ नहीं समझ पाए.प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, पानी इतनी तेज़ी से आया कि लोग ज़रूरी सामान तक बाहर नहीं निकाल पाए। बर्तन, कपड़े, फर्नीचर, बच्चों के स्कूल बैग – सब कुछ पानी में भीग गया। महिलाएं बच्चों को गोद में लेकर ऊँचाई की ओर भागीं, जबकि बुजुर्गों को पड़ोसी और स्वजन मिलकर सुरक्षित स्थानों पर ले गए। स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर निगम की कोई मदद आने से पहले तक वे खुद ही अपने घरों से पानी निकालने की कोशिश करते रहे।वही खबर पाकर नेताओं ने मौके पर पहुंचकर हालाद का निरीक्षण किया.घटना की जानकारी मिलते ही बोरो चैयरमैन शिवानंद बाउरी और स्थानीय पार्षद श्रावणी मंडल मौके पर पहुंचे। पार्षद ने बताया कि लगातार बारिश की वजह से तलाब का जलस्तर बढ़ गया था, जिससे बांध की मिट्टी कमजोर होकर टूट गई और पानी बस्ती में घुस गया। उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही बांध की मरम्मत कराई जाएगी। स्थानीय कहना है कि “लंबे समय से इसकी शिकायत कर रहे थे, लेकिन कोई इस पर ध्यान नहीं दिया. जिसका नतीजा ये आज हुआ है, स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर लापरवाही का गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि हमने कई बार नगर निगम से शिकायत की थी कि बांध की स्थिति जर्जर है, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन मिला, समाधान नहीं। वही राहत कार्य की धीमी गति पर भी लोगों ने नाराज़गी जाहिर की, हालाकि प्रशासन ने राहत कार्य शुरू कर दिया है, लेकिन पानी की निकासी बहुत धीमी गति से हो रही है। प्रशासन की ओर से प्रभावित परिवारों को अस्थायी राहत सामग्री – सूखा खाना, पीने का पानी और कार्पेट – दी जा रही है। साथ ही, बांध की मरम्मत की योजना बनाई जा रही है। विशेषज्ञों की राय माने तो समय पर ध्यान दिया जाता तो बच सकती थी दुर्घटना,मौके पर पहुंचे विशेषज्ञों ने भी माना कि यदि समय रहते बांध की स्थिति पर ध्यान दिया जाता, तो यह हादसा रोका जा सकता था। इस वक्त छिन्नमस्ता इलाका प्रशासन की लापरवाही और प्राकृतिक आपदा – दोनों की मार झेल रहा है।