चुनाव आयोग पर बरसे अभिषेक बनर्जी, कहा- बंगालियों को वोट देने से रोका जा रहा

 

कोलकाता, 7 अगस्त । बिना वेरिफिकेशन सैकड़ो लोगों का नाम मतदाता सूची में शामिल करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का चुनाव आयोग का आदेश तृणमूल नेताओं को नागवार गुजर रहा है। चुनाव आयोग की कार्रवाई को लेकर तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी ने गुरुवार काे एक बार फिर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए काम कर रहा है और बंगाल के “मूल बंगालियों” को मताधिकार से वंचित करने की कोशिश की जा रही है।
कोलकाता एयरपोर्ट पर दिल्ली रवाना होने से पहले मीडिया से बातचीत में अभिषेक ने कहा, “आयोग अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम कर रहा है। आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद ही आयोग को प्रशासनिक जिम्मेदारी मिलती है ताकि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी हो सके। लेकिन अब चुनाव से एक-डेढ़ साल पहले ही चुनी हुई सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप किया जा रहा है।”
उन्होंने दावा किया कि आयोग का यह रुख भाजपा को अतिरिक्त लाभ दिलाने की कोशिश है। उनके मुताबिक, “अब बंगाल के वास्तविक बंगालियों को वोट न डालने देने की साजिश हो रही है। यह पूरी तरह चुनाव आयोग की बेशर्मी भरी भूमिका है। आज आयोग का इन मुद्दों पर कोई अधिकार नहीं है। वह केवल सरकार को सूचित कर सकता है। जिस सरकार को 12 करोड़ लोगों ने चुना है, वह केवल जनता के प्रति जवाबदेह है।”
यह बयान ऐसे समय आया है जब राज्य में मतदाता सूची में कथित गड़बड़ियों को लेकर दो इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर्स (ईआरओ) और दो असिस्टेंट ईआरओ को सस्पेंड करने की सिफारिश चुनाव आयोग ने की है। इस संबंध में आयोग ने सचिवालय को पत्र भी भेजा है, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही साफ कर चुकी हैं कि किसी अधिकारी को सजा नहीं दी जाएगी।
अभिषेक ने चुनाव आयोग को संविधान की मर्यादा में रहकर काम करने की भी नसीहत दी। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, “कल देखा गया कि ट्रंप के नाम पर एक रेसिडेंशियल सर्टिफिकेट जारी हुआ है। जब वे बिहार में वोट डालने आएंगे, तब उनसे पूछा जाना चाहिए कि उन्होंने 50 फीसदी टैरिफ क्यों लगाया था।”
गौरतलब है कि बिहार के समस्तीपुर में मतदाता सूची की विशेष गहन समीक्षा के दौरान 65 लाख लोगों के नाम हटाए गए हैं। ऐसी आशंका है कि अब बंगाल में भी इसी तरह की कार्रवाई हो सकती है। इससे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस प्रक्रिया का विरोध किया था और आरोप लगाया था कि एनआरसी की राह एसआईआर के जरिए तैयार की जा रही है।

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