भारतीय संस्कृति, परम्परा, नैतिक कर्तव्य के प्रति जागरूक रहें — साध्वी प्रियरंजना श्रीजी

हावड़ा । साध्वी प्रियरंजनाजी श्रीजी, साध्वीवृंद डा. प्रियदिव्यांजना श्रीजी, साध्वी डा. प्रियशुभांजना श्रीजी के सानिध्य में सुख की दिशा – शान्ति की दिशा, आओ युवाओं ! जानो और जागो कार्यक्रम में युवा श्रावक – श्राविकाओं में उत्साह रहा । साध्वीवृंद ने उत्तर हावड़ा में चातुर्मास में मानव जीवन में शिक्षा और संस्कार के महत्व पर प्रवचन में कहा स्नेह – वात्सल्य, प्रेम, भक्ति – बहुमान और परस्पर सद्भावना के साथ मैत्री का शिक्षण तथा शान्ति, अहिंसा, समता एवम् क्षमा भाव का महत्व है । वर्तमान शिक्षा प्रणाली में युवा वर्ग का कैरियर महत्वपूर्ण है, लेकिन भारतीय संस्कृति, परम्परा, नैतिक कर्तव्य के प्रति जागरूकता को प्रधानता नहीं दी गई है । भारतीय नव वर्ष चैत्र सुदी एकम है लेकिन फर्स्ट जनवरी को इंग्लिश कैलेंडर के नववर्ष के प्रति उत्साह रहता है । साध्वी प्रियरंजनाजी श्रीजी ने श्रावक – श्राविकाओं को भाव विभोर करते हुए कहा प्रत्येक शिक्षित नागरिक को भारतीय परम्पराओं, धार्मिक मान्यताओं का पालन करना चाहिये, यही शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य है । श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ एवम् आत्मानंदी चातुर्मास समिति के पदाधिकारी तथा कार्यकर्ता सक्रिय हैं ।

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