कोलकाता । साध्वी प्रियरंजना श्रीजी, साध्वी दिव्यांजना श्रीजी, साध्वी शुभांजना श्रीजी ने हावड़ा – कोलकाता में अपने प्रवास में श्री लोद्रवा पार्श्वनाथ जैन मंदिर में तीर्थंकर भगवान के दर्शन – वंदना की । मन्दिर के ट्रस्टी विनीत रामपुरिया एवम् कार्यकर्ताओं ने साध्वीवृंद का स्वागत किया । साध्वीवृंद ने अपने आशीर्वचन में कहा जैन धर्म में चातुर्मास का समय आत्म-शुद्धि, आध्यात्मिक विकास, और धार्मिक गतिविधियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है । यह समय तपस्या, साधना, और धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन के लिए अनुकूल माना जाता है । चातुर्मास में अट्ठाई तप, मास क्षमण एवम् अनेक तप किए जाते हैं, जिनका उद्देश्य आत्म-शुद्धि और धार्मिक आस्था को सुदृढ़ करना होता है । चातुर्मास में सात्विक भोजन, इंद्रियों पर नियंत्रण और अहिंसा का पालन करने का विधान है । चातुर्मास में साधु-साध्वी एक स्थान पर रहकर साधना करते हैं और धार्मिक गतिविधियों में सक्रिय रहना शुभ माना जाता है । श्री त्रिभुवन जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ के बिमल सिंह रामपुरिया, संजय रामपुरिया, जतनलाल रामपुरिया, माणक चन्द सेठिया, अमिष शाह, संजय शाह, एवम कार्यकर्ता सक्रिय हैं । 29 जून को साध्वी प्रियरंजना श्रीजी आदि ठाणा का चातुर्मास प्रवेश आदिश्वर भवन, हावड़ा में होगा ।