नई दिल्ली:भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। इसपर पूरी दुनिया से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।हमारे संवाददाता ने मीडिया पर्सनैलिटी और इंटरनेशनल इक्विटेबल ह्यूमन राइट्स सोशल काउंसिल के इंटरनेशनल चेयरमैन संजय सिन्हा से इस बाबत प्रतिक्रिया ली तो उन्होंने बताया कि, ‘ ये भारत के लिए बेहद गर्व का विषय है।भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए यह उपलब्धि हासिल की है। अब भारत की अर्थव्यवस्था चार बिलियन डॉलर की हो चुकी है। अर्थव्यवस्था के आकार के मामले में इस समय भारत से आगे केवल अमेरिका, चीन और जर्मनी रह गए हैं। मेरा अनुमान है कि अगले ढाई से तीन साल में भारत जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। ‘
श्री सिन्हा ने बताया कि, ‘ भारत की इस तेज रफ्तार वृद्धि के पीछे निर्माण क्षेत्र की ताकत को सबसे प्रमुख है। केंद्र सरकार ने पिछले 11 वर्षों में निर्माण क्षेत्र में लगातार पैसा झोंका है। सड़क मार्ग, रेल परिवहन, पोर्ट निर्माण और आवासीय भवनों के निर्माण को केंद्र सरकार ने अपनी नीतियों के केंद्र में रखा है। इसका लाभ कोर सेक्टर के स्टील, सीमेंट, बिजली, तेल सहित औद्योगिक सेक्टर के 50 बड़े क्षेत्रों को मिला है। इससे इसके साथ जुड़े अन्य सेक्टरों में भी तेज वृद्धि देखी गई है। ‘
उन्होंने आगे कहा कि, ‘ केंद्र सरकार ने देश में लगातार निवेश का माहौल बेहतर बनाए रखा है। इसका असर हुआ है कि विदेशी निवेशकों ने यहां निवेश को अपनी प्राथमिकता बना रखा है। इससे देश के अनेक क्षेत्रों में पर्याप्त निवेश प्राप्त हुआ है और इससे इन सेक्टरों को बढ़ाने में वित्तीय मदद मिली है। अभी जिस तरह के वैश्विक माहौल बने हैं, उसमें आगे भी भारत में निवेश की संभावनाएं बेहतर बनी रह सकती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने हथियारों के निर्माण को अपनी प्राथमिकता में रखा है। इसका यह असर हुआ है कि भारत आज दुनिया में हथियार आयातकों के साथ-साथ हथियारों का बड़ा निर्यातक भी बन चुका है। आज भारत के ब्रह्मोस, आकाश और अन्य आयुध निर्माण की खरीद करने वाले दर्जनों देश की सेवाएं ले रहे हैं। इससे भी भारत की धमक पूरी दुनिया में बढ़ी है। लेकिन केंद्र सरकार के इस कदम ने भारत को न केवल हथियारों का निर्यातक बनाया है, बल्कि इसके जरिए भारत को बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा भी प्राप्त हुई है। ‘ आर्थिक मामलों की जानकारी रखने वाले श्री सिन्हा ने कहा कि, ‘ निर्माण को अपनी ताकत बनाने का असर साफ दिखने लगा है। भारत अब निर्माण के मामले में लगातार आगे बढ़ रहा है। लेकिन अब भारत को औद्योगिक विकास के चौथे चरण के लिए तैयार होना चाहिए जहां ऑटोमेशन की सबसे बड़ी भूमिका होगी। अमेरिका, चीन, ताइवान और अन्य यूरोपीय देशों के मामले में अपने उत्पादों की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उसे सर्कुलर ईकोनॉमी का अगुवा भी बनना पड़ेगा। इस समय भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती ऑटोमेशन के कारण बेरोजगार हुए लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की होगी। इसके लिए सरकार को एक तरफ कामगर आबादी को तकनीकी तौर पर दक्ष बनानी होगी, वहीं श्रम आधारित रोजगार भी बनाए रखने होंगे।’