रानीगंज। शिक्षक पिता समान होते हैं. पहले के समय में शिक्षकों द्वारा छात्र-छात्राओं को अगर मारा पीटा जाता था तो उसे आशीर्वाद समझा जाता था.अभिभावकों द्वारा शिक्षकों को पूरा अधिकार मिलता था कि वह उन्हें समझा बूझकर मारपीट कर पढ़ाएं लिखाएं. पहले के समय में स्कूल में मार खाने के बाद छात्र-छात्राएं अपने अभिभावक को डर से नहीं बताती थी क्योंकि बताने पर घर में भी उन्हें पिटाई मिलती थी. उस समय शिक्षकों को स्कूल एवं कॉलेज में छात्र-छात्राओं द्वारा काफी मान आदर मिलता था.परंतु अभी के समय में वह अधिकार नहीं रह गया है अब शिक्षक भी छात्र-छात्राओं से डरने लगे हैं. हालांकि कहीं-कहीं शिक्षकों द्वारा भी ठीक से पढ़ाया नहीं जाता. जिसे लेकर शिक्षकों का विरोध होता है. ठीक ऐसा ही एक मामला रानीगंज के टीडीबी कॉलेज में शुक्रवार को देखा गया. जहां विद्यार्थियों ने शिक्षकों पर छात्र के साथ मारपीट करने दुर्व्यवहार करने एवं अच्छे से नहीं पढ़ने का आरोप लगाया. वहीं शिक्षकों ने छात्रों पर बिना अनुमति के सेमिनार कक्षा में घुसकर शिक्षकों के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया.जानकारी के अनुसार रानीगंज के टीडीबी कॉलेज में शुक्रवार को इतिहास विभाग में इंटरनल एग्जाम था. इस वजह से सभी विद्यार्थी समय पर कॉलेज पहुंच गए थे.परीक्षा का समय सुबह 12:30 से था. उससे पहले इतिहास विभाग के सभी विद्यार्थी कॉलेज पहुंच गए थे लेकिन विद्यार्थियों का आरोप है कि लगभग 1:30 जाने के बावजूद जब परीक्षा शुरू नहीं हुई तब विद्यार्थियों ने यह पता लगाने की कोशिश की की परीक्षा शुरू होने में इतनी देर क्यों हो रही है. तब पता चला कि इतिहास विभाग के प्रोफेसर मयूराक्षी दास टीचर्स काउंसिल की मीटिंग में व्यस्त हैं. इसके बाद विद्यार्थियों का सब्र टूट गया और उन्होंने टीचर इंचार्ज के कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. घटना की सूचना के बाद छात्र नेता सुमन गोराई वहां पर पहुंचे जब विद्यार्थियों ने उन्हें बताया कि आज इतिहास विभाग में इंटरनल परीक्षा होने वाली थी लेकिन तय समय पर यह परीक्षा शुरू नहीं हुई और अध्यापिका टीचर्स काउंसिल की बैठक में व्यस्त है. तब सुमन बैठक वाले कमरे में गए इस बारे में जब हमने सुमन गोराई से बात की तो उन्होंने कहा कि जब विद्यार्थियों से उन्हें पता चला कि तय समय पर इतिहास की परीक्षा शुरू नहीं हुई और परीक्षा लेने वाली प्रोफेसर टीचर्स काउंसिल की बैठक में व्यस्त हैं. तब उन्होंने टीचर इंचार्ज अनुमति लेकर बैठक के कमरे में प्रवेश किया और इतिहास की प्रोफेसर से पूछा कि आखिर चाहे समय पर परीक्षा क्यों शुरू नहीं हुई. इतनी गर्मी में विद्यार्थी परेशान हो रहे हैं. इस पर मयूराक्षी दास ने कहा कि आज वह परीक्षा नहीं ले पाएंगी. इसके बाद सुमन ने आरोप लगाया कि कॉलेज के ही एक अन्य प्रोफेसर पार्सल किसकु मैं उनके साथ अभद्र आचरण किया यहां तक कि उन्होंने सुमन का कॉलर पकड़ लिया. सुमन गोराई क्या कहना है कि यहां के प्रोफेसर अगर विद्यार्थियों को धमकी देंगे तो यहां के विद्यार्थी पढ़ाई कैसे करेंगे इसलिए आज यहां पर विद्यार्थी आंदोलन कर रहे हैं. सुमन ने आरोप लगाया कि यहां के प्रोफेसर सही समय पर विद्यार्थियों का क्लास नहीं करवाते. वह विद्यार्थियों को कहते हैं की क्लास करने की जरूरत नहीं है. वह संभाल लेंगे सुमन का कहना था कि यहां पर नियमित रूप से क्लास करवाना होगा और कॉलेज में अनुशासन के साथ हर एक कार्य को करना होगा जिस तरह से विद्यार्थियों को अनुशासन में रहकर पढ़ाई करनी होगी, ठीक उसी प्रकार अध्यापकों को भी अनुशासन में रहते हुए और समय को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थियों को पढ़ना होगा और नियमित क्लास करवाना होगा. नियमित समय पर परीक्षाएं लेनी होगी.वहीं इस विषय में कॉलेज के टीचर इंचार्ज से बात करने पर उन्होंने बताया कि इस तरह की घटनाएं कॉलेज में होती रहती हैं विद्यार्थी चुंकि कम उम्र के हैं इसलिए वह जल्दी अपना धैर्य खो देते हैं. आज एक अचानक जरूरी बैठक आ गई. इसलिए इतिहास विभाग की प्रोफेसर पहले से तय इंटरनल एग्जाम नहीं ले पाए. उन्होंने कहा कि वह थोड़े समय बाद लेंगे. लेकिन कुछ विद्यार्थी उग्र हो गए और उन्होंने प्रोफेसर के साथ अभद्र आचरण किया. अप शब्दों का प्रयोग किया. जब टीचर्स काउंसिल की बैठक चल रही थी वहां पर बिना अनुमति के वह घुस गए और वहां पर भी उनके साथ अभद्र चरण किया. जिसका वहां पर मौजूद अन्य अध्यापकों द्वारा विरोध किया गया. उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों द्वारा आज जो आचरण किया गया वह शोभनीय नहीं था. हालांकि जब उनसे पूछा गया कॉलेज के कुछ प्रोफेसर भी धरने पर बैठ गए हैं उनके हाथों में प्लै कार्ड हैं जिस पर लिखा हुआ है कि उन्हें अपने सुरक्षा की चिंता है तो टीचर इंचार्ज ने जवाब दिया कि वह उन प्रोफेसरों से बात करेंगे और उनको अपना धरना वापस लेने के लिए कहेंगे उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं कॉलेज में होती रहती हैं और यह कोई बहुत बड़ा मसला नहीं है.हालांकि प्रश्न यह उठता है कि छात्रों द्वारा क्या शिक्षकों के साथ इस तरह का व्यवहार करना शोभनीय है क्योंकि शिक्षक गुरु होता है एवं गुरु का पद भगवान से भी ऊपर होता है.