कोलकाता, 30 अप्रैल ।मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को घोषणा की कि दीघा में नवनिर्मित जगन्नाथ मंदिर की तस्वीर और प्रसाद पश्चिम बंगाल के हर घर तक पहुंचाया जाएगा। इस कार्य की जिम्मेदारी राज्य सरकार के सूचना व संस्कृति विभाग (आईएनसीए) को सौंपी गई है, जिसकी प्रमुख स्वयं मुख्यमंत्री हैं और मंत्री इंद्रनील सेन स्वतंत्र प्रभार संभाल रहे हैं।
अक्षय तृतीया के अवसर पर बुधवार को मंदिर के उद्घाटन से पहले मुख्यमंत्री ने इसे ‘मां-माटी-मानुष’ को समर्पित करते हुए कहा कि हम बंगाल के हर घर में मंदिर की तस्वीर और थोड़ा सा प्रसाद पहुंचाने की कोशिश करेंगे। यह जिम्मेदारी मैं आईएनसीए को दे रही हूं। उद्घाटन समारोह में शामिल मेहमानों को भी उनके होटलों में मंगलवार रात तक तस्वीर और प्रसाद सौंपा गया।
मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि बंगाल के बाहर देश के प्रमुख व्यक्तित्वों तक भी दीघा के जगन्नाथ मंदिर की तस्वीर और प्रसाद भेजा जाएगा। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस सूची में होंगे या नहीं, इस पर कोई स्पष्टता नहीं दी गई।
यह पहल ऐसे समय में हो रही है जब राज्य में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं। इसे राजनीतिक रणनीति के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें भाजपा के हिंदुत्व एजेंडे को टक्कर देने का प्रयास किया गया है।
इस बीच, भारतीय जनता पार्टी और वाम मोर्चा ने इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा प्रवक्ता राजर्षि लाहिड़ी ने सवाल उठाया कि मुख्यमंत्री इसे मन्दिर कह भी रही हैं या नहीं? क्या सरकार इसे मन्दिर के रूप में मान्यता दे रही है? वहीं, माकपा नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि सरकार का काम है युवाओं को रोजगार देना और उनके घर तक नियुक्ति पत्र पहुंचाना, न कि प्रसाद भेजना। तृणमूल और भाजपा दोनों ही धर्म का राजनीतिक इस्तेमाल कर रही हैं।
उल्लेखनीय है कि दीघा में बने इस मंदिर को ‘जगन्नाथ सेंटर ऑफ कल्चरल एक्सेलेंस’ नाम दिया गया है। इसका निर्माण सरकारी एजेंसी हिडको के सहयोग से शुरू हुआ था, लेकिन इसका संचालन अब एक ट्रस्ट के माध्यम से किया जाएगा।
मंगलवार को मंदिर परिसर में महायज्ञ का आयोजन हुआ, जिसमें पूर्णाहुति मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दी। यज्ञ के उपरांत मंदिर के शिखर पर अष्टधातु से बनी ध्वजा स्थापित की गई। मंदिर में चार प्रमुख द्वार — सिंहद्वार (पूर्व), व्याघ्रद्वार (पश्चिम), अश्वद्वार (दक्षिण), और हस्तिद्वार (उत्तर) हैं, साथ ही चैतन्यद्वार भी बनाया गया है।
मुख्यमंत्री ने उद्घाटन के दौरान ‘जय जगन्नाथ’ और ‘जय बांग्ला’ का नारा देते हुए मंदिर को बंगाल की जनता को समर्पित किया।