कोलकाता मेट्रो का ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर लॉन्च के लिए तैयार, रेलवे सुरक्षा आयोग ने किया अंतिम निरीक्षण

 

कोलकाता, 28 अप्रैल । कोलकाता मेट्रो के ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर का अंतिम 2.6 किलोमीटर लंबा खंड, जो केंद्रीय कोलकाता के चुनौतीपूर्ण और धंसान-प्रवण बउबाजार क्षेत्र से होकर गुजरता है, का रेलवे सुरक्षा आयोग (सीआरएस) द्वारा महत्वपूर्ण सुरक्षा निरीक्षण किया गया। अंतिम स्वीकृति मिलते ही पूरे 16.6 किलोमीटर लंबे ग्रीन लाइन कॉरिडोर के संचालन का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा, जो शहर की रैपिड ट्रांजिट प्रणाली के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी।

मेट्रो रेलवे के प्रवक्ता ने पुष्टि की कि, “जैसे ही सीआरएस से औपचारिक स्वीकृति मिलेगी, यात्री सेक्टर फाइव से हावड़ा मैदान तक हुगली नदी के नीचे से होकर यात्रा कर सकेंगे।”

उल्लेखनीय है कि रेलवे सुरक्षा आयोग, जो नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है, देश भर में नई मेट्रो लाइनों को स्वीकृति प्रदान करने का जिम्मेदार निकाय है। इस निरीक्षण का नेतृत्व नॉर्थ फ्रंटियर सर्किल के रेलवे सुरक्षा आयुक्त सुमीत सिंघल ने किया। उन्होंने सुबह नौ बजे निरीक्षण कार्य शुरू करते हुए पटरियों, सुरंग वेंटिलेशन, आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली और यात्री सुरक्षा मापदंडों का गहन परीक्षण किया।

निरीक्षण के दौरान सिंघल ने महाकरण और सेंट्रल पार्क स्टेशनों के बीच यात्रा करते हुए 80 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से ट्रायल रन भी किया और एस्प्लेनेड स्टेशन पर उप-प्रणालियों का बारीकी से निरीक्षण किया।

वर्तमान में ईस्ट-वेस्ट मेट्रो दो असंबद्ध खंडों पर परिचालित हो रही है : सेक्टर फाइव से सियालदह (9.2 किलोमीटर) और एस्प्लेनेड से हावड़ा मैदान (4.8 किलोमीटर)। सियालदह से एस्प्लेनेड के बीच निर्माण कार्य में क्षेत्र की अस्थिर और छिद्रयुक्त मिट्टी के कारण गंभीर चुनौतियां सामने आई थीं, जिससे परियोजना में लंबे समय तक विलंब हुआ।

पूर्वी और पश्चिमी सुरंगों में पैदल चलकर किए गए व्यापक निरीक्षण के बाद सिंघल ने इस नव-निर्मित खंड की तत्परता पर संतोष व्यक्त किया। मेट्रो रेलवे के प्रवक्ता ने भी दोहराया कि सीआरएस ने इस खंड की तैयारियों पर संतोष जताया है।

इस मौके पर कोलकाता मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (केएमआरसी) के प्रबंध निदेशक अनुज मित्तल तथा मेट्रो रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी भी निरीक्षण के दौरान मौजूद रहे। अंतिम स्वीकृति अब निकट भविष्य में मिलने की संभावना है, जिससे कोलकाता को एक पूर्णत: परिचालित ईस्ट-वेस्ट मेट्रो नेटवर्क मिलने का सपना साकार होने के करीब है।

 

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