आज भी किताबों का कोई विकल्प नहीं है- हेतु भारद्वाज


ख्यात व्यंग्यकार फारूक आफरीदी की पुस्तक ‘धन्य है आम आदमी’ पर हुई चर्चा

जयपुर ,(ओम दैया )। देश की अग्रणी साहित्य संस्था कलमकार मंच की ओर से विद्याश्रम स्कूल के सुरुचि केन्द्र में आयोजित ख्यात व्यंग्यकार फारूक आफरीदी की किताब ‘धन्य है आम आदमी’ पर संवाद कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. हेतु भारद्वाज ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि व्यंग्य आम आदमी की परेशानियों और दुखों को उड़ा देने का ही एक तरीका है। व्यंग्य का प्रयोग स्थितियों को देखकर किया जाए तो ज्यादा दमदार होगा। भाषा को मनुष्य का सबसे बड़ा अविष्कार बताते हुए उन्होंने कहा कि भाषा की ताकत का कोई तोड़ नहीं है। स्थिति और भाषा का तरीके से प्रयोग किया किया जाना चाहिए तभी लेखन निखार आता है। सोशल मीडिया पर चाहे सब उपलब्ध हो, लेकिन आज भी किताबों का कोई विकल्प नहीं है।
दो सत्रों में आयोजित इस कार्यक्रम में संस्था के राष्ट्रीय संयोजक वरिष्ठ पत्रकार एवं गीतकार निशांत मिश्रा ने कहा कि जब तक किताबों पर चर्चा नहीं होगी, पाठकों का ध्यान आकर्षित नहीं होगा और न ही किताब पाठकों के बीच लोकप्रिय होगी। उन्होंने आगामी 6 व 7 अगस्त को जयपुर में होने वाले दो दिवसीय ‘कलमकार साहित्य महोत्सव’ की जानकारी देते हुए बताया कि यह महोत्सव वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार स्व. ईशमधु तलवार को समर्पित होगा।
पुस्तक चर्चा में व्यंग्यकार प्रभात गोस्वामी ने कहा कि एक समय था कि लेखक आम आदमी की श्रेणी से अलग हुआ करता था, पर आज लेखक भी आम आदमी की ही तरह हो गया है । इसकी वजह यह है कि किताबों के पास पाठक नहीं है। सोशल मीडिया ने किताबें पढऩे का जुनून कम कर दिया है। कुछ भी लिखने से पूर्व लेखक को सोचना पड़ता है कि उसे किस तरीके की प्रतिक्रिया झेलनी पड़ सकती हैं। मुख्यमंत्री के विशेषाधिकारी एवं साहित्यकार अनुराग वाजपेयी ने कहा कि किताब में शामिल व्यंग्य आम आदमी की परेशानियों को बखूबी उजागर करते हैं। वरिष्ठ साहित्यकार श्री कृष्ण शर्मा ने ‘धन्य है आम आदमी’ पर चर्चा करते हुए कहा कि इस व्यंग्य संग्रह में लगभग 37 लोकोक्तियां, मुहावरे और सुक्तियों का प्रयोग किया गया है जो अपने आप में खासा दिलचस्प है। वरिष्ठ साहित्यकार नरेन्द्र शर्मा ‘कुसुम’ ने कहा कि हमारे समाज में बहुत सी दुर्बलता हैं और उन्हीं पर प्रहार करने के उद्देश्य से ही व्यंग्य लिखा जाता है। व्यंग्य कहने वाला हंस रहा हो और सुनने वाला अंदर तक कुढ़ रहा हो वही व्यंग्य है।
किताब के लेखक फारूक आफरीदी ने इस किताब लेखन के दौरान दिवंगत पत्नी और परिजनों के सहयोग को याद करते हुए कहा कि इस किताब में शामिल सभी व्यंग्य सभी संप्रदाय और धर्म के आम आदमी का लेखा जोखा है। समाज में जो घटित हो रहा है उसे ही उजागर करने का प्रयास इन व्यंग्य रचनाओं में किया गया है। वरिष्ठ पत्रकार डॉ.यश गोयल और डॉ. तराना परवीन ने भी अपने विचार व्यक्त किए। सत्र का संचालन डॉ. ऊषा दशोरा ने किया।
दूसरे सत्र में युवा व्यंग्य लेखक जितेन्द्र शर्मा ने कुर्सी बचाने और पाने के लिए होने वाली बाड़ेबंदी पर, मुख्यमंत्री के विशेषाधिकारी एवं साहित्यकार अनुराग वाजपेयी ने तीये की बैठकों के विज्ञापन और मृत्यु के समाचारों पर केन्द्रित और फारूक आफरीदी ने प्रभावशाली बयानों और नारों के लेखन पर आधारित अपनी व्यंग्य रचानाएं सुनाकर उपस्थित श्रोताओं की दाद बटोरी। सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी राजेन्द्र भानावत ने कहा कि सिविल सर्विस में रहते हुए उन्होंने हमेशा यही कोशिश की कि वह एक आम आदमी की तरह जिएं और आम आदमी के बीच में रहें। इस अवसर पर उन्होंने अपनी कविता ‘ऐसे ही चलता है’ सुनाई। पूर्व आईएएस डॉ. सत्यनारायण सिंह ने फारूक अफरीदी को उनकी पुस्तक के लिए बधाई देते हुए आगे भी लिखने के लिए प्रोत्साहित किया।
कार्यक्रम में मेला प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रमेश बोराणा, वरिष्ठ साहित्यकार कृष्ण कल्पित, पत्रकार विनोद भारद्वाज, अरिंदम मिश्र, कवि प्रेमचंद गांधी, किस्सागोई फेम लेखिका उमा, फिल्म निर्देशक गजेन्द्र एस. श्रोत्रिय, पंचशील जैन, नवल पांडेय, विनोद शर्मा, प्रेमलता शर्मा, फानी जोधपुरी, नफीस आफरीदी, पूनम भाटिया, दीपक कुमार राय, नदीम आफरीदी, प्रणु शुक्ला, डॉ. राकेश कुमार, धर्मपाल, सहित अन्य साहित्यप्रेमी मौजूद थे।

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