अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन द्वारा ‘मारवाड़ी कहावतें का संसार’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई

 

कोलकाता, 22 फरवरी : अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन की ओर से सम्मेलन सभागार में ‘मारवाड़ी कहावतें का संसार’ विषय पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई। इस संगोष्ठी के प्रमुख वक्ता थे सुप्रसिद्ध साहित्यकार राजेंद्र केडिया जिन्होंने कहावतों को संजोने पर बृहद रूप में काम किया है।संगोष्ठी को संबोधित करते हुए राजेंद्र केडिया ने कहा कि कहावतें हमारी बातों में सलीका लाते हैं एवं गागर में सागर भरने का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि राजस्थानी भाषा में जितनी कहावतें हैं, विश्व की अन्य भाषाओं में देखने को नहीं मिलते। उनके अनुसार राजस्थानी कहावतें का प्रकाशन प्रथम मे कोलकाता में हुआ। तत्पश्चात 15000 राजस्थानी कहावतों का कोष तैयार किया गया। आज के इस दौर में हमें भाषा और संस्कृति को बचा के रखना है। हमारे खान-पान,रहन-सहन और वेशभूषा में परिवर्तन हुए हैं। हमारे सोच में भी परिवर्तन हुआ है। उन्होंने बताया की कहावतें को हमें सकारात्मक रूप में देखना चाहिए। हर एक कहावतों के पीछे एक कहानी छिपी रहती है। उन कहानी के मर्म को समझ कर ही हम कहावतों का वास्तविक अर्थ समझ सकते हैं। विभिन्न कहावतों के विषय में उन्होंने विस्तार से चर्चा की एवं कई उदाहरण प्रस्तुत किये। उन्होंने अपने वक्तव्य को अत्यंत ही सरलता से प्रस्तुत किया जिसे सभी श्रोताओं ने मंत्र मुग्ध होकर सुना। उनके वक्तव्य के उपरांत उन्होंने श्रोताओं के जिज्ञासा का भी उत्तर दिया।

प्रारंभ में समारोह की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार लोहिया ने सभी अतिथियों का स्वागत किया एवं कहा कि आज राजस्थानी भाषा की मान्यता के साथ-साथ राजस्थानी भाषा का प्रचार प्रसार एक बहुत बड़ा महत्वपूर्ण कार्य हमारे सामने है। उन्होंने कहा कि सम्मेलन निरंतर राजस्थानी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए कार्य कर रहा है।उन्होंने बताया कि राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए केंद्रीय गृह मंत्री को भी गत नवंबर माह में पत्र दिया गया है। इसके अलावा राजस्थानी भाषा के व्याकरण पर पुस्तक सम्मेलन कार्यालय मे निशुल्क उपलब्ध रहता है। उन्होने सभी से आग्रह किया कि कम से कम अपने घर में मातृभाषा में ही आपसी वार्तालाप करें। विशेष करके घर के नए बच्चों को राजस्थानी भाषा से परिचय करवायें। उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए सम्मेलन सभी सुझावों का स्वागत करता है।


सुप्रसिद्ध साहित्यकार बंशीधर शर्मा ने राजेंद्र केडिया के कार्यों की सराहना की एवं कहा कि उन्होंने कहावतें पर 10 खंड में पुस्तके प्रकाशित करने की योजना बनाई है, जिसमें से दो प्रकाशित हो चुकी है एवं एक प्रकाशाधीन है। यह उनका राजस्थानी साहित्य के लिए अप्रतिम योगदान है। उन्होने धन्यवाद ज्ञापन किया।
सभा के प्रारंभ में अरुण प्रकाश मलावत ने केडिया जी का परिचय दिया। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय राष्ट्रीय महामंत्री कैलाशपति तोदी ने किया।कार्यक्रम मे राष्ट्रीय संयुक्त मंत्री संजय गोयनका, डा.प्रियंकर पालीवाल, संजय बिन्नानी, आत्माराम सोंथालिया, जुगल किशोर जाजोदिया, अमित कहली, राजकुमार अग्रवाल, नीता मुरारका, अमित मुंधड़ा, गौरी शंकर सारड़ा, पियूष क्याल, जे एन मुंधड़ा, अरविन्द कुमार मुरारका, बिनोद बियानी, सांवर मल शर्मा, प्रकाश चंद्र हरलालका, रघुनाथ प्रसाद झुनझुनवाला, पवन बंसल, राम मोहन लखोटिया, राजेंद्र राजा, संजीव कुमार केडिया, संदीप सेकसरिया, संतोष रूंगटा, किरण रूंगटा, दिलीप दारुका, ललिता दारुका, श्रीगोपाल अग्रवाल,श्याम लाल अग्रवाल, नथमल भीमराजका, गोविन्द जैथलिया,नरेंद्र केडिया, ओम बिहानी,बिक्रम सामुई, शुभम राय एवं अन्य गण्यमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। संगोष्ठी का ऑनलाइन प्रसारण किया गया जिसमे देश के अनेक भागों से सैकड़ो लोगों ने भाग लिया।

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