सियालदह स्टेशन ने स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक “कोलकाता प्रत्यावर्तन दिवस” का आयोजन किया

कोलकाता, 19 फरवरी, 2025“कोलकाता प्रत्यावर्तन दिवस” स्वामी विवेकानंद की ऐतिहासिक वापसी को याद करता है, जब 19 फरवरी 1897 को वे अमेरिका और पश्चिमी देशों की अपनी विजयपूर्ण यात्रा के बाद कोलकाता लौटे थे। स्वामी विवेकानंद की यह अविस्मरणीय यात्रा 1893 में शुरू हुई थी, जब वे शिकागो (अमेरिका) में आयोजित विश्व धर्म महासभा (Parliament of the World’s Religions) में भाग लेने के लिए कोलकाता से रवाना हुए थे। वहां उनके प्रेरणादायक भाषण ने न केवल हिंदू धर्म को पश्चिमी जगत से परिचित कराया, बल्कि धार्मिक सहिष्णुता, सार्वभौमिक स्वीकृति और आध्यात्मिक विकास का संदेश भी दिया, जो भौतिकवाद में लिप्त पश्चिमी समाज के लिए अत्यंत प्रासंगिक था।

आज, पूर्व रेलवे / सियालदह मंडल स्वामी विवेकानंद की कोलकाता वापसी की 129वीं वर्षगांठ को एक विशेष ट्रेन यात्रा के माध्यम से मना रहा है। “कोलकाता प्रत्यावर्तन दिवस” के इस अवसर पर बाजबज से सियालदह तक एक विशेष ट्रेन चलाई गई, जो स्वामी विवेकानंद के उस ऐतिहासिक आगमन को दर्शाती है जब वे 19 फरवरी को बजबज स्टेशन पहुंचे थे। इस महत्वपूर्ण अवसर को चिह्नित करने के लिए ट्रेन को फूलों और स्वामी विवेकानंद के प्रेरणादायक उद्धरणों से सजाया गया और बाजबज स्टेशन से इसे ध्वजांकित कर रवाना किया गया। यह ट्रेन सियालदह तक स्वामीजी की यात्रा के मार्ग का अनुसरण करते हुए पहुंची, जिससे आधुनिक भारत के इस महान दार्शनिक और आध्यात्मिक गुरु के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में श्री मिलिंद के. देऊसकर, महाप्रबंधक, पूर्वी रेलवे, श्री दीपक निगम, मंडल रेल प्रबंधक, सियालदह, और श्रीमती सीमा देऊसकर, अध्यक्ष, पूर्व रेलवे महिला कल्याण संगठन (ERWWO) सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। श्रीमती सीमा देऊसकर ने अपने संक्षिप्त एवं प्रभावशाली भाषण में स्वामी विवेकानंद के सामाजिक सुधार और सांस्कृतिक पुनर्जागरण में योगदान पर प्रकाश डाला।

अपने संबोधन में, श्री मिलिंद के. देऊसकर ने स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए इस पुनीत पहल का स्वागत किया और भारतीय पुनर्जागरण के इस महान आत्मा को याद रखने के महत्व को रेखांकित किया।

श्री दीपक निगम ने अपने विचार रखते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद ने आधुनिक भारत में सांस्कृतिक, बौद्धिक और दार्शनिक आंदोलन का नेतृत्व किया, जिससे भारतीय संस्कृति को पुनर्जीवित करने, सनातन हिंदुत्व को बढ़ावा देने, तर्कवाद और मानवतावाद को स्थापित करने में मदद मिली।

श्री सत्यकी नाथ, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (सिस्टम), पूर्व रेलवे ने अपने संबोधन में स्वामी विवेकानंद के आध्यात्मिक आंदोलन के प्रभाव पर जोर दिया, जिसने राष्ट्रवाद और आत्म-साक्षात्कार की भावना को जागृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अंततः भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया।

इस विशेष ट्रेन यात्रा ने स्वामी विवेकानंद के भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता पर गहरे प्रभाव को श्रद्धांजलि दी। उनकी शिक्षाएँ और आदर्श आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं। इस आयोजन का उद्देश्य उनके संदेश की भावना को पुनर्जीवित करना और एक एकजुट व प्रगतिशील भारत की उनकी दृष्टि को बढ़ावा देना था।

“कोलकाता प्रत्यावर्तन दिवस” हर वर्ष पूर्वी रेलवे / सियालदह मंडल द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, ताकि स्वामी विवेकानंद की विरासत और भारतीय आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक धरोहर में उनके योगदान को सम्मानित किया जा सके।

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