बांग्लादेश में हिंदुओं की हत्या पर कोलकाता में मंथन, वक्ताओं ने कहा – एकजुट नहीं हुए तो अस्तित्व मिट जाएगा

कोलकाता, 25 जनवरी । पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में स्वामी विवेकानंद के पैतृक आवास पर सिटिज़न एंपावरमेंट फोरम द्वारा आयोजित कार्यक्रम में “बांग्लादेश जल रहा है, हिंदुओं का अस्तित्व संकट में” विषय पर गहन चर्चा हुई। कार्यक्रम में वक्ताओं ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को पूरी दुनिया के हिंदू समुदाय के लिए चेतावनी बताते हुए एकजुट होकर संघर्ष शुरू करने की अपील की।
कार्यक्रम की शुरुआत बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार से जुड़ी डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन से हुई। कार्यक्रम के अध्यक्ष दुर्गापुर स्टील प्लांट के पूर्व जीएम देवाशीष लाहिरी और अन्य वक्ताओं ने अपने विचार रखे। प्रख्यात शिक्षाविद शक्ति प्रसाद मिश्रा ने कहा कि बांग्लादेश में हो रही घटनाएं इस्लामी कट्टरपंथियों की साजिश का हिस्सा है, जो इस्लाम का वर्चस्व स्थापित करना चाहते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बांग्लादेश की पूर्व शेख हसीना सरकार ने कट्टरपंथी मौलवियों को प्रश्रय दिया, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं की हत्या और वहां की शिक्षा प्रणाली में बदलाव एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है। उन्होंने स्वामी विवेकानंद के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि जातिगत बंटवारा हिंदू समाज के लिए घातक है और इससे समाज कमजोर होगा।


राष्ट्रीय चैनल की एंकर स्वर्णाली सरकार ने पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती इलाकों में हो रहे जनसांख्यिकीय बदलाव को गंभीर मुद्दा बताते हुए इसे हिंदू समुदाय के लिए खतरा करार दिया। उन्होंने कहा कि मीडिया में कई चीजों के बोलने पर पाबंदी होती है। उसमें हिंदुओं पर अत्याचार भी एक ऐसा ही मामला है। लेकिन हकीकत यह है कि बांग्लादेश में जिस तरह से हिंदुओं की हत्या हो रही है, वह हमारे लिए गंभीर चेतावनी है और संभलने का संकेत भी।

प्राध्यापक डॉ. राकेश दास ने पश्चिम बंगाल में हिंदी भाषण के खिलाफ नफरत फैलाने वाले बांग्ला पक्ष जैसे संगठनों की आलोचना करते हुए कहा कि ये संगठन हिंदी भाषियों के खिलाफ नफरत फैलाकर हिंदू समाज को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे झूठ और भ्रम के खिलाफ सतर्कता बरतने और इसका जवाब देने के लिए ठोस तंत्र विकसित करने की अपील की। उन्होंने कहा कि वामपंथी और इस्लामी कट्टरपंथी गठबंधन वाली ताकतें मिलकर भारतीय संस्कृति और इतिहास को मिटाने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने उदाहरण दिया कि बांग्लादेश में 1971 के पहले क्रांतिकारी नायकों का इतिहास नहीं पढ़ाया जाता था। मास्टर दा सूर्यसेन जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को भुला दिया गया, जो ऐसे ही साजिश का हिस्सा है।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने हिंदू समुदाय से एकजुट होकर बांग्लादेश की घटनाओं से सबक लेने और अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए संघर्ष शुरू करने का आह्वान किया। उनका कहना था कि अगर अब नहीं जागा गया, तो भविष्य में हिंदुओं के अस्तित्व पर बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।
देवाशीष लाहिरी ने अध्यक्षीय भाषण देते हुए कहा कि बंगाल उस मुहाने पर खड़ा है कि अब अगर हिंदू एकजुट होने में देर करे, तो अस्तित्व संकट निश्चित तौर पर खड़ा होगा।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

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