संस्कार-संस्कृति का विकल्प नही: शिवकुमार लोहिया

कोलकाता : अखिल मारवाड़ी सम्मेलन की ओर से सम्मेलन सभागार में समाज में सकारात्मक के विकास के उपाय विषय पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी की अध्यक्षता अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार लोहिया ने कहा आज समाज एक चौराहे पर खड़ा है। एक तरफ हमारी पुरानी परंपरा, हमारी पुरानी संस्कृति है और दूसरी तरफ पाश्चात्य जगत से प्रभावित एक जीवन शैली है जिसके कारण समाज में तरह-तरह की कुरीतियों एवं विसंगतियां पनप रही हैं। इस प्रकार की जीवन शैली से समाज मे नकारात्मकता बढ़ रही है। नकारात्मकता रोकने के लिए हमें सकारात्मक सोच को बढ़ावा देना होगा। सकारात्मक की ओर उठते एवं बढ़ते हुए हर कदम को हमें मजबूत बनाना होगा। उन्होंने बताया कि शिशुओं में प्रारंभ से ही हमें अपने संस्कारों को स्थापित करना होगा। सम्मेलन के संस्कार संस्कृति चेतना कार्यक्रम को अभियान बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज की स्थिति के लिए हम स्वयं ही जिम्मेदार हैं एवं इसका निराकरण भी हमें स्वयं ही करना होगा। संस्कार संस्कृति चेतना के कुछ बिंदुओं के ऊपर चर्चा करते हुए कहा कि प्रथम से ही घर में बड़े बुजुर्गों के प्रति आदर, धर्म एवं आध्यात्म के प्रति आस्था एवं जीवन में विनम्रता एवं चरित्र की महत्ता बच्चों को बताना होगा। उन्होंने कहा कि बदलाव लाने के लिए सिर्फ सोच से नहीं होगा बल्कि हमें इस दिशा में ठोस प्रयास भी करने पड़ेंगे और यह प्रयास प्रत्येक व्यक्ति अपने घर से प्रारंभ करे।

 मुख्य वक्ता प्रबुद्ध साहित्यकार एवं चिंतक प्रियंकर पालीवाल ने कहा कि आज विकास हो रहा है किंतु वह चेहरे पर नहीं दिखाई देता। भौतिक समृद्धि के साथ-साथ अध्यात्मिक समृद्धि आवश्यक है। आज  धर्म एवं आध्यात्म से समाज दूर होता जा रहा है। जीवन में सकारात्मक एवं संतुलन की आवश्यकता है। सकारात्मकता के अभाव के कारण जीवन मे हम संतुलन रखने में असफल हो रहे हैं। यह एक त्रासदी है कि विकास के नाम पर आज सप्ताह मे 90 घंटे काम करने की दुहाई दी जा रही है। कोविड के समय हमने यह सीखा कि जिनको हम अन्य मानते हैं वह अन्य नहीं है। अन्य अगर सुरक्षित हैं तो ही हम भी सुरक्षित हैं। सकारात्मक एक दृष्टिकोण है जो अनुभव से प्राप्त होती हैं एवं हम उसे वरिष्ठ लोगों से भी प्राप्त कर सकते हैं। आज का समाज वरिष्ठ लोगों को हासिए पर खड़ा कर दिया है एवं उनकी परवाह नहीं है। यह भी एक कारण है की नकारात्मकता समाज पर हावी हो रही है।
वरिष्ठ कानूनविद नंदलाल सिंघानिया ने कहा कि समाज में नकारात्मकता का प्रसार का मुख्य कारण है हमारी शिक्षा पद्धति में हमारे संस्कारों को शामिल नहीं किया गया। हमें अपने भावी पीढ़ी को चरित्र की महत्ता के विषय में जानकारी नहीं दे सके। इस भूल को हमें सुधारना होगा। कवियित्री शशि लाहोटी ने समाज सुधार पर अपनी रचनाएं प्रस्तुत की जिसे सभी ने सराहा।
 प्रारंभ में राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री पवन जालान ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि  समाज सुधार एवं संस्कार-संस्कृति चेतना के विषय में सम्मेलन लगातार प्रयासरत है। समाज को अपनी विसंगतियो एवं कुरीतियों से मुक्त करने में इसकी प्रमुख भूमिका पहले भी रही है एवं अभी भी निभा रहा है। इस विषय में व्यापक जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से ही आज की संगोष्ठी आयोजित की गई है।
 सर्वप्रथम सम्मेलन की ओर से रघुनाथ झुनझुनवाला ने मुख्य वक्ता प्रियंकर पालीवाल का स्वागत-सम्मान किया। समाजसेवी श्री अरुण प्रकाश मल्लावत ने धन्यवाद ज्ञापन किया। सभा में नथमल भीमराजका, अशोक संचेती सुशील अग्रवाल, सीताराम अग्रवाल एवं अन्य गण्यमान्य सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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